अन्तत: वाट्सएप ने अपनी नई नीति को लागू करने की योजना को आगे बड़ा दिया, परन्तु खतरे बदस्तूर जारी हैं |कहने को वाट्सएप, फेसबुक, यू-ट्यूब, जी-मेल वगैरह हमें मुफ्त में मिल रहे हैं और प्ले स्टोर या एप स्टोर के जरिए हमारे मोबाइल फोन में आ घुसते हैं। आपको अप्रत्यक्ष रूप से इनकी पूरी कीमत कभी न कभी और कहीं न कही चुकानी होगी । इनोवेशन, डेवलपमेंट और लगातार अपग्रेड की लागत, दुनिया के सबसे महंगे प्रबंधकों और कर्मचारियों की तनख्वाहें, आलीशान दफ्तरों और परिसरों के रखरखाव पर होने वाले खर्च, कंपनी के हरदम चलते रहने वाले सर्वरों पर व्यय होने वाली रकम, और कई गुप्त मदों में लगी रकम आपसे ही वसूली जाना है । ऐसा भी हो सकता है मोबाईल एप की कुल कीमत हमारे मोबाइल फोन से भी ज्यादा हो सकती है ।
इसकी शुरुआत भी तो आपने ही की है | जानकारियों के बदले उन्हें सेवा देने के कारोबार की बड़े पैमाने पर शुरुआत गूगल ने ही की थी और वही इस बाजार का अगुवा भी है। साल 2019 में उसने 161 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया था, जबकि फेसबुलोक का मुनाफा इसके आधे से भी कम, यानी 71 अरब डॉलर के करीब था। फेसबुक भी अब गूगल के रास्ते पर चलकर अपना मुनाफा बढ़ाना चाहता है, और इसके लिए आपसे वही सब जानकारियां मांग रहा है, जो आप खुशी-खुशी गूगल को देते रहे हैं।
मोबाइल सॉफ्टवेयर कंपनियां ये सब गोरखधंधे जानती हैं, इसलिए उन्होंने इसका यह तरीका अपनाया है- तुम हमें अपनी जानकारियां दो, हम तुम्हें मुफ्त एप और उसकी सेवाएं देंगे। संचार की इस नई दुनिया का सारा अर्थशास्त्र हमारी इन जानकारियों, यानी डाटा के कारोबार पर टिका है, जैसे अखबार और टेलीविजन जैसे परंपरागत मीडिया का व्यवसाय विज्ञापनों पर। नए साल की इन सर्दियों में वाट्सएप की निजता नीति में बदलाव हमारे 4-जी विमर्श को नई गरमी दे गया। इसमें कुछ नया नहीं था। २०१४ में जब फेसबुक ने वाट्सएप को खरीदा था, तब उसने यह कहा था कि दोनों कंपनियां डाटा शेयर नहीं करेंगी। लेकिन दो साल बाद ही यह वचन तोड़ दिया गया और पिछले चार साल से यह सब आराम से चल रहा है। इसमें नई चीज यह है कि अब इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है। अभी तक वाट्सएप आपसे बहुत सी जानकारियां नहीं लेता था, अब वह भी आपसे ले लेना चाहता है। बहुत से लोगों की चिंता इसलिए भी है कि वाट्सएप के जरिए बहुत से लोग पेमेंट भी करने लगे हैं।
अब ऐसी व्यवस्था भी की जा रही है कि लोग वाट्सएप के जरिए खरीदारी भी कर सकें। लोगों को डर है कि अब उनके सारे लेन-देन और खरीद-फरोख्त की जानकारियां भी वाट्सएप से होती हुई फेसबुक के हवाले हो जाएंगी। यह पहली बार होगा, ऐसा भी नहीं है। गूगल पहले से यह कर रहा है| हकीकत में वाट्सएप जो नया करने जा रहा है, वह तो पहले से ही हो रहा है।
आज ऐसी कोई जानकारी नहीं है, जो गूगल आपसे इस या उस तरीके से न लेता हो। उसे पता होता है कि आप इस समय कहां हैं? उसे मालूम होता है कि आप कब कहां गए थे? उसे पता होता है कि आपने किन बिलों का भुगतान कर दिया, किनका अभी बाकी है और किस बैंक की किस्त इस बार आप नहीं चुका पाए? वह जानता है कि किसने आपको मेल भेजा, आपने किसको जवाब दिया और किसको नहीं? कई बार वह यह भी बता देता है कि आपको जवाब क्या देना है? आपकी ही नहीं, आपके पूरे परिवार की जन्मतिथि भी उसे पता है, उनके फोन नंबर और बैंक अकाउंट नंबर भी। आपके मर्ज और डॉक्टर की जानकारी भी उससे नहीं छिपी है।
नये परहेज का कारण फेसबुक है | फेसबुक एक ऐसी कंपनी है, जो अक्सर गलत कारणों से खबरों में रहती है। चाहे डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव से जुडे़ विवाद हों या भारत में उसकी प्रतिनिधि आंखी दास से जुड़े विवाद। हर बार फेसबुक एक ऐसी कंपनी के रूप में सामने आती है, जिसे प्रबंधन की भाषा में ‘बैडली मैनेज्ड’ कंपनी कहा जाता है। निजता नीति के ताजा विवाद में भी यही दिखाई देता है। हो सकता है, कुछ बदले पर बदलाव की बयार आपसे ही शुरू होगी |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।