ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पुलिस विभाग से रिटायर्ड दरोगा को अपनी कार जलाने वालों पर FIR दर्ज कराने में चार महीने लग गए। ऐसा एक दिन नहीं गुजरा, जब वह थाने नहीं गए हों। सिर्फ जांच का हवाला देकर पुलिस उन्हें टालती रही। इस बीच थाने से लेकर एसपी ऑफिस तक रिटायर्ड दरोगा ने कई अफसरों के दफ्तर पहुंचकर गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
जब इसी विभाग से तीन साल पहले रिटायर्ड हुए साथी के साथ पुलिस का यह बर्ताव है, तो अंदाजा लगा सकते हैं कि आम इंसान की थानों में क्या हालत होती होगी? अब रिटायर्ड दरोगा का कहना है जिस पुलिस विभाग में उन्होंने पूरा जीवन निकाल दिया, वहां उनके साथ ऐसा व्यवहार होने पर बुरा लगता है। इन चार महीनों में एक बार भी पुलिस उनके घर नहीं आई है। अब यह मामला और कार जलाने के फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के हनुमान नगर निवासी 63 वर्षीय महेन्द्र सिंह भदौरिया पुत्र राजेन्द्र सिंह पुलिस विभाग से रिटायर्ड सहायक उपनिरीक्षक हैं। वर्ष 2017 में वह रिटायर्ड हुए हैं। 10 सितंबर 2020 की रात 12.30 बजे उनकी कार क्रमांक एमपी 07 सीए-6591 घर के बाहर खड़ी थी, तभी पड़ोसी विकास कुमार ने घर पहुंचकर बताया कि उनकी कार में आग लगी है। वे बाहर आए और बेटे गिर्राज व भांजे धर्मेन्द्र के साथ आग बुझाने का प्रयास किया। किसी तरह आग पर काबू पाया और पुलिस को सूचना दी। रात को पुलिस के दो जवान आए और घटनास्थल को मुआयना कर चले गए। इसके बाद अगले दिन सुबह पहुंचकर महेन्द्र सिंह ने शिकायत की। पुलिस ने मामला दर्ज न करते हुए आवेदन ले लिया। इसके बाद जांच के बाद पर खानापूर्ति करते रहे।
रिटायर्ड दरोगा महेन्द्र सिंह ने बताया, जब वह रोज FIR दर्ज कराने थाने जाते और पुलिस अफसर जांच करने की बात कहते, तो बुरा लगता था, क्योंकि इसी विभाग में पूरा जीवन निकाल दिया है। जांच के लिए कह कर टालने का मतलब अच्छी तरह समझता हूं। अपने जीवन में कभी किसी का बुरा नहीं किया, लेकिन मेरे साथ मेरे ही विभाग के लोग ऐसा कर रहे थे, तो बुरा लगता था। इसके बावजूद सिस्टम के सामने हारा नहीं, लड़ता रहा और 115 दिन बाद मेरी FIR गोला का मंदिर पुलिस को करनी पड़ी।
इस दौरान दो थाना प्रभारी भी बदल गए। मामले में गोला का मंदिर थाना प्रभारी डॉ. संतोष यादव का कहना है कि मैंने कुछ दिन पहले ही चार्ज संभाला है। मामला सामने आने पर दर्ज कर लिया गया है। जल्द आरोपी भी पकड़े जाएंगे।
महेन्द्र सिंह ने बताया कि घटना के बाद कॉलोनी में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले, तो कुछ संदेही भी दिखे हैं। यह फुटेज भी पुलिस को दिए गए थे, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इससे पहले 3 मार्च 2020 को कार के कांच फोड़े थे। 10 सितंबर को कार में आग लगा दी। किसी तरह सही कराई, तो 29 नवंबर को फिर कांच फोड़ दिए गए।