भारत के करोड़ों नागरिकों को हर रोज उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाली भारतीय रेल में 110 वोल्ट बिजली की सप्लाई होती है जबकि हमारे छोटे से घर में 220 वोल्ट बिजली की सप्लाई दी जाती है। सवाल यह है कि जब इतनी बड़ी ट्रेन 110 वोल्ट बिजली से चल सकती है तो फिर जरा से घर में 220 वोल्ट की सप्लाई क्यों दी जाती है। क्या इस तरह से सरकार बिजली का बिल बढ़ाती है। आइए पता करते हैं:-
सबसे पहले बिजली में वोल्ट का गणित समझ लेते हैं
भागलपुर बिहार के रहने वाले गोकुल भारद्वाज जो NTPC Ltd में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं बताते हैं कि जब हम 220 वोल्ट AC सप्लाई बोलते हैं तो इसका अर्थ होता है AC सप्लाई वोल्टेज की rms value 220 वोल्ट है। इसका अर्थ यह है कि 220 वोल्ट DC सप्लाई का कोई स्रोत किसी निश्चित समय में उतना ही ऊष्मा उत्पन्न करेगा जितना 220 वोल्ट rms value वाला कोई AC स्रोत उतने ही समय में करेगा। अर्थात 220 वोल्ट DC और 220 वोल्ट rms AC समकक्ष होते हैं।
ट्रेन में 110 वोल्ट तो घर में 220 वोल्ट की बिजली सप्लाई क्यों
अब अपन अपने सवाल पर आते हैं। संक्षिप्त और सरल शब्दों में उत्तर यह है कि ट्रेन में केवल लाइट, पंखे और मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग के लिए बिजली सप्लाई दी जाती है। इन तीनों कामों के लिए 110 वोल्ट बिजली पर्याप्त है। लेकिन यदि हम अपने घर की बात करते हैं तो उसमें कूलर, फ्रिज, एसी, गीजर, हीटर और वॉशिंग मशीन जैसे उपकरण भी उपयोग में लिए जाते हैं। इन उपकरणों को चलाने के लिए 220 वोल्ट बिजली की जरूरत होती है। यदि इन्हें 110 वोल्ट बिजली में चलाएंगे तो यह अपना काम को पूरा करने में काफी समय ले लेंगे और फिर पापा ऑफिस जाने के लिए बच्चे स्कूल जाने के लिए लेट हो जाएगा।
भारतीय रेल में 110 वोल्ट बिजली सप्लाई के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है
भारतीय रेलों में बिजली के सभी उपकरण जैसे लाइट और पंखा आदि 110 वोल्ट बिजली सप्लाई के लिए डिजाइन किए जाते हैं। सवाल यह है कि जब बाजार में 220 वोल्ट बिजली से चलने वाले उपकरण मौजूद हैं तो फिर भारतीय रेल अपने उपकरणों को 110 वोल्ट बिजली सप्लाई के लिए क्यों डिजाइन करवाती है। क्या रेलवे के अधिकारी ठेकेदार से कमीशन खाने के लिए ऐसा करते हैं। जवाब है नहीं, बिजली के उपकरणों को चोरी होने से बचाने के लिए करते हैं। ट्रेन के हर डिब्बे पर चौकीदार नहीं लगाया जा सकता। ट्रेन में भी एक 220 वोल्ट बिजली की सप्लाई होती थी। तब लोग ट्रेन के बल्ब और पंखे चुरा कर ले जाते थे। इस समस्या से बचने के लिए 110 वोल्ट का समाधान निकाला गया। अब यदि कोई ट्रेन के पंखे चुरायेगा और बाजार में बेचने की कोशिश करेगा तो उसे कोई नहीं खरीदेगा। खरीदने वाले को तत्काल पता चल जाता है यह तो रेलवे का माल है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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