जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने निर्देशित किया है कि जिन मामलों में वर्तमान अथवा पूर्व सांसद एवं विधायकों को स्थगन का लाभ दिया गया है, उन्हें 2 महीने में प्रतिदिन सुनवाई करके निपटाए। हाईकोर्ट में वर्तमान अथवा पूर्व सांसद एवं विधायकों के लंबित प्रकरणों की प्रगति के संबंध में रजिस्ट्रार जनरल की ओर से स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थे।
स्टेटस रिपोर्ट में हाई कोर्ट को बताया गया कि मध्यप्रदेश में कुल 192 मामले पेंडिंग है।मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने स्टेटस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को निर्धारित कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर, 2020 को सभी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से कहा था कि वे उनके यहां लंबित ऐसे आपराधिक मामलों को तत्काल सुनवाई के लिए उचित पीठ के समक्ष लगाएं। विशेषकर जिन मामलों में कोर्ट ने रोक आदेश जारी कर रखा है, उनमें पहले यह देखा जाए कि रोक जारी रहना जरूरी है कि नहीं। अगर रोक जारी रहना जरूरी है, तो उस मामले को रोजाना सुनवाई करके दो महीने में निपटाया जाए। इसमें कोई ढिलाई न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीशगण यह भी विचार करें कि जिन मुकदमों की सुनवाई तेजी से चल रही है, उन्हें दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने की जरूरत है कि नहीं या ऐसा करना उचित होगा कि नहीं। मुख्य न्यायाधीशों से कहा कि वे एक पीठ गठित करें, जो सांसदों-विधायकों के लंबित मुकदमों के निपटारे की प्रगति की निगरानी करे। इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश स्वयं और उनके द्वारा नामित न्यायाधीश शामिल होंगे। इसी आदेश के तारतम्य में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर यह याचिका दर्ज की। गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से ताजा स्टेटस रिपोर्ट पेश की गई।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव व हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से अधिवक्ता बीएन मिश्रा उपस्थित हुए।