भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले 350 से अधिक सीनियर एवं अनुभवी प्रोफेसरों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने 10 साल से प्रमोशन बंद कर रखे हैं। सरकार यदि प्रमोशन नहीं देना चाहती तो हम भी नौकरी नहीं करना चाहते।
10 साल से किसी को प्रमोशन नहीं मिला, ऐसी नौकरी करके क्या करेंगे
बताया गया है कि वॉलंटरी रिटायरमेंट की मांग करने वाले सभी प्रोफेसर काफी अनुभवी और सीनियर हैं। ज्यादातर की उम्र 60 साल के आसपास है। सभी का कहना है कि सरकार कर्मचारियों के प्रति अपना कर्तव्य भूल गई है। इसलिए सरकारी काम करने से अच्छा है कि घर बैठकर पेंशन ले और अपना काम करें। इनमें से कुछ प्रोफेसर अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं।
नई भर्ती नहीं हो रही, काम का बोझ बढ़ रहा है इसलिए रिटायरमेंट चाहिए
इनमें से कुछ प्रोफेसरों कहना है कि मध्य प्रदेश की सरकार ने लंबे समय से सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों की भर्ती नहीं की है। कार्यरत प्रोफेसर लगातार रिटायर होते जा रहे हैं। जिसके कारण काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। नई शिक्षा नीति में कॉमर्स के प्रोफेसर को साइंस पढ़ना पड़ेगा। इस उम्र में यह सब कुछ पॉसिबल नहीं है।
प्रोफेसर फ्रस्ट्रेशन में है: मध्य प्रदेश प्राध्यापक संघ
लंबे समय से ना तो पदोन्नति मिली है और ना ही करियर एडवांसमेंट दिया गया। इससे प्रोफेसर कुंठाग्रस्त हो गए हैं। इस कारण प्रदेश के करीब 350 से अधिक प्रोफेसरों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया है।
आनंद शर्मा, महासचिव, मप्र प्राध्यापक संघ
प्रोफेसरों की पर्सनल कारण होंगे: अनुपम राजन
यह हर साल की प्रक्रिया है। अगर इस साल बढ़ोत्तरी हुई है तो प्रोफेसरों का अपना निजी कारण रहा होगा।
अनुपम राजन, प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा विभाग
मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों की स्थिति
प्रदेश में सरकारी कॉलेजों की संख्या- 515
कितने कॉलेजों में प्रभारी प्राचार्य - 471
प्रदेश के कितने पीजी कॉलेज प्राचार्य विहीन- 77
प्रदेश के कितने यूजी कॉलेज प्राचार्य विहीन - 394
प्रदेश के कॉलेजों में प्रोफेसरों की संख्या- 7500
यूजी व पीजी के विद्यार्थियों की संख्या - करीब 12 लाख