भारतीय जनता पार्टी भारत में पांच राज्यों में चुनाव में गेम चेंजर डिसीजन लेने के मूड में नजर आ रही है। यदि केंद्र सरकार ने यह डिसीजन ले लिया तो निश्चित रूप से पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी सहित पूरे भारत के मतदाताओं को एक साथ प्रभावित किया जा सकेगा। दरअसल, पेट्रोल डीजल पर सभी प्रकार के टैक्स खत्म करके GST लगाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो पेट्रोल डीजल के दाम 50% कम हो जायेंगे।
बेहिसाब टैक्स के कारण ₹35 का पेट्रोल ₹90 में बेचा जा रहा है
पिछले दिनों भारत सरकार के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस दिशा में संकेत दिए थे। पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य वैट वसूलते हैं. इन दोनों की दरें इतनी ज्यादा है कि 35 रुपए का पेट्रोल विभिन्न राज्यों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच रहा है।
2017 में राज्यों के कहने पर पेट्रोल को GST से बाहर रखा गया था
जीएसटी को 1 जुलाई, 2017 को पेश किया गया था। तब राज्यों की उच्च निर्भरता के कारण पेट्रोल और डीजल को इससे बाहर रखा गया था। अब सीतारमण ने ईंधन की कीमतें नीचे लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक संयुक्त सहयोग का आह्वान किया।
पेट्रोलियम उत्पाद GST के बाद एक देश एक दाम हो जाएंगे
अगर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत शामिल किया जाता है, तो देश भर में ईंधन की एक समान कीमत होगी। यही नहीं, यदि जीएसटी परिषद ने कम स्लैब का विकल्प चुना, तो कीमतों में कमी आ सकती है। वर्तमान में, भारत में चार प्राथमिक जीएसटी दर हैं - 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। जबकि अभी केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं।
पेट्रोल डीजल पर किस राज्य में कितना टैक्स लिया जा रहा है
राजस्थान पेट्रोल पर 36 प्रतिशत पर वैट रखते हुए सबसे अधिक कर वसूलता है। इसके बाद तेलंगाना में वैट 35.2 प्रतिशत है। पेट्रोल पर 30 प्रतिशत से अधिक वैट वाले अन्य राज्यों में कर्नाटक, केरल, असम, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश शामिल हैं। डीजल पर, ओडिशा, तेलंगाना, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों द्वारा सबसे अधिक वैट दरें ली जाती हैं। अब तक पांच राज्यों, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मेघालय, असम और नागालैंड ने इस साल ईंधन पर करों में कटौती की है।