सामूहिक रूप से एकजुट होकर हिंसा करना अथवा भीड़ द्वारा हिंसा करना IPC के अध्याय 8 की धाराओं के अंतर्गत अपराध है। यदि किसी की निजी जमीन पर कई लोग हिंसा (बल्वा) कर रहे हैं तो भूमि स्वामी का क्या कर्तव्य है एवं यदि वह अपना कर्तव्य नहीं निभाता तो तो क्या उसे भी अपराधी माना जाएगा। इसी प्रश्न का उत्तर भारतीय दंड संहिता की धारा 154 में वर्णित है।
बल्वा की स्थिति में भूमि स्वामी के कर्तव्य
1. भूमि मालिक ऐसे जमाव या बल्वे वहाँ से हटाने का प्रयास करेगा।
2. तुरंत पुलिस या SDM को सूचित करेगा।
3. बल्वा को तिरर बितर करने का हर सम्भव प्रयास करेगा।
4. भूमि स्वामी का कर्तव्य होगा कि वह अपने स्तर पर हर प्रयास करेगा जिससे बल्वा या विधि विरुद्ध जमाव न हो।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 154 की परिभाषा:-
अगर कोई भूमि स्वामी जानबूझकर कर उपर्युक्त कर्तव्यों का पालन नहीं करता है बल्वा या विधि विरुद्ध जमाव को रोकने के लिए तब वह भूमि स्वामी धारा 154 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 154 के अंतर्गत दण्ड प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है,यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को हैं। सजा- इस अपराध के लिए एक हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
उधरणानुसार वाद:- आर बनाम प्रयाग सिंह-
आरोपी की भूमि में विधि विरुद्ध जमाव के फलस्वरूप एक बल्वा हुआ जिसमे पीर खान नामक एक व्यक्ति मारा गया आरोपी ने जानबूझकर कर बल्वा रोकने का प्रयत्न नहीं किया था, इस लिए वह धारा 154 के अंतर्गत दोषी ठहराया गया।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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