शिमला। हिमाचल प्रदेश के हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप चिटकारा ने एक लड़के को बलात्कार का आरोपी मानते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया। याचिकाकर्ता युवक ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि लड़की ने खुद फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी और संबंध बनाने के लिए सहमति दी थी। हाई कोर्ट ने उसकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया क्योंकि लड़की की उम्र 13 साल 3 महीने हैं। भारतीय दंड संहिता के अनुसार 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ किसी भी स्थिति में यौन संबंध स्थापित करना अपराध है।
हाई कोर्ट में दाखिल जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान आरोपी युवक की दलील थी कि लड़की ने अपने सही नाम से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी, लड़की ने खुद को वयस्क बताया था। सोशल मीडिया अकाउंट पर उसकी आयु 18 वर्ष दर्ज है। इसलिए वह यह मानकर चल रहा था कि वह 18 वर्ष से अधिक की है और इसलिए उसने उसकी सहमति से यौन संबंध स्थापित किया।
कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह असामान्य नहीं है कि लोग अपनी उम्र और पहचान के बारे में सब कुछ नहीं बताते, क्योंकि यह पब्लिक प्लेटफार्म है। कोर्ट ने कहा कि अगर बच्ची ने सोशल मीडिया अकाउंट पर गलत उम्र दर्ज की हो तो उसे बिल्कुल सही नहीं समझना चाहिए।
ऐसे में यह मान कर नहीं चला जा सकता कि लड़की नाबालिग नहीं, बल्कि बालिग है।कोर्ट ने यह भी कहा कि जब आरोपी ने पीड़िता को देखा होगा तो यह उसकी समझ में आ गया होगा कि वह 18 वर्ष की नहीं है, क्योंकि पीड़िता की उम्र महज 13 वर्ष तीन महीने की थी। कोर्ट ने आरोपी के इस बचाव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि चूंकि लड़की नाबालिग थी तो उसकी सहमति कोई मायने नहीं रखती।