नई दिल्ली। भारत सरकार एलआईसी के साथ जनरल इंश्योरेंस कंपनी न्यू इंडिया इंश्योरेंस का भी निजीकरण करने की तैयारी कर रही है। बाजार के विशेषज्ञ इसकी समीक्षा कर रहे हैं परंतु वह समझ नहीं पा रहे कि सरकार फायदे में चल रही कंपनी का निजीकरण क्यों कर रही है।
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण की बात कही थी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि सरकार 2021-22 दो पीएसयू बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने तैयारी कर रही है। कयास लगाए जा रहे थे कि आखिर कौन सी इंश्योरेंस कंपनी है, जिसका निजीकरण हो सकता है। अब सूत्रों से पता चला है कि सरकार न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा उन्होंने इस बार के बजट में एलआईसी का आईपीओ लाने की बात कही। पिछली बार के बजट में भी एलआईसी के निजीकरण की बात कही गई थी।
क्यों हो रहा है दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी का निजीकरण?
एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी का निजीकरण क्यों किया जा रहा है? क्या सरकार इसे चला नहीं पा रही है? क्या ये कंपनी नुकसान दे रही है? या इसकी कोई और वजह है? वैसे आंकड़ों को देखा जाए तो पता चलता है कि कंपनी का परफॉर्मेंस अच्छा है। कंपनी का मार्च 2020 में वैश्विक कारोबार 29,715 करोड़ रुपये था। हो सकता है कि कंपनी इसे अच्छे परफॉर्मेंस को आधार बनाते हुए अच्छी कीमत चाहती हो या फिर कोई और वजह हो सकती है। खैर, सरकार आने वाले दिनों में ये वजह भी साफ कर दी देगी।
बता दें कि दि न्यू इंडिया एश्योंरेस कंपनी लिमिटेड की स्थापना 1919 में सर दोराबजी टाटा ने की थी। इसे AM बेस्ट कंपनी की तरफ से B ++ Stable FSR रेटिंग और bbb + Stable ICR आउटलुक रेट दिया गया है। कंपनी को वर्ष 2014 से CRISIL द्वारा AAA / Stable का दर्जा दिया गया है, यह दर्शाता है कि कंपनी के पास अपने पॉलिसीधारक के दायित्वों का सम्मान करने के लिए वित्तीय शक्ति की उच्चतम डिग्री है।