जिला पंचायत का CEO ग्राम पंचायत के सचिव को जेल नहीं भेज सकता, आदेश स्थगित - Madhyapradesh high court news

Bhopal Samachar
जबलपुर
। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत मंडला के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के उस आदेश को स्थगित कर दिया है जिसमें उन्होंने ग्राम पंचायत अंजनिया के सचिव एवं रोजगार सहायक को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाते हुए जेल भेजने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने तर्क दिया कि जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को इस तरह किसी को जेल भेजने के आदेश देने का अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता मंडला निवासी पतिराम कार्तिकेय सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता परितोष त्रिवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता मंडला जिले की ग्राम पंचायत अंजनिया में पंचायत सचिव व रोजगार सहायक बतौर पदस्थ हैं। दोनों ईमानदारी से अपना कार्य करते चले आ रहे हैं। इसके बावजूद साजिश के तहत उन पर आरोप लगाया गया। मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने आरोप की सच्चाई का पता किए बगैर एकतरफा आदेश पारित करते हुए दोनों को अनियमितता का दोषी करार दे दिया। उनके खिलाफ न केवल 2 लाख 70 हजार रुपये की रिकवरी निकाल दी बल्कि राशि जमा न किए जाने की सूरत में दोनों को जेल भेजने का आदेश भी जारी कर दिया। इस रवैये के खिलाफ पहले विभागीय स्तर पर आवेदन किया गया। जब कोई नतीजा नहीं निकला तो हाई कोर्ट आना पड़ा। 

मुख्य तर्क यही है कि मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा-92 के तहत वसूली के आदेश के साथ जेल भेजने का आदेश जारी नहीं किया जा सकता। नियमानुसार पहले चरण में नोटिस जारी किया जाना चाहिए। यदि जवाब से संतुष्ट न हों, तब वसूली का आदेश जारी होना चाहिए लेकिन सीईओ ने ऐसा न करते हुए स्वयं को अदालत बना लिया। उनका यह रवैया मनमानी को दर्शाता है। इस तरह जेल भेजने का आदेश जारी करना अंग्रेजों के जमाने की याद दिलाता है। 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) के आदेश को मनमाना पाया। इसी के साथ ग्राम पंचायत सचिव व रोजगार सहायक को जेल भेजने के आदेश पर रोक लगा दी।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!