नागपुर। महाराष्ट्र हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने दहेज के लिए महिला का उत्पीड़न और उसके कारण आत्महत्या के मामले में जिला न्यायालय से सजा प्राप्त आरोपी को दोष मुक्त करार दिया है। जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने कहा कि पत्नी से पैसों की मांग करना, आत्महत्या के लिए उत्पीड़न नहीं माना जा सकता।
पत्नी से पैसों की मांग करना धारा 498-ए के तहत उत्पीड़न का अपराध नहीं
हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा है कि पत्नी से पैसे मांगना आईपीसी की धारा 498A के तहत उत्पीड़न का मामला नहीं हो सकता है। घटना 9 साल पुरानी है। जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने कहा कि इस केस में सबूत पति और पत्नी के बीच झगड़े के संबंध में है, जहां वो उसे पैसे के लिए मारता था। पैसे की मांग एक अस्पष्ट शब्द है। इसे धारा 498-ए के तहत उत्पीड़न का अपराध नहीं माना जा सकता है।
जज ने ये भी कहा कि आरोपी ने झगड़े के बाद भी पत्नी को बार-बार उनके पिता के यहां से वापस बुलाया। इसके अलावा वो उसे हॉस्पिटल भी लेकर गया। इसके अलावा उसने अपने ससुर को अंतिम संस्कार के लिए शव देने से भी मना कर दिया।
पति ने महिला को पीटा और फिर जहर पिला दिया, पुलिस ने आत्महत्या का केस क्यों दर्ज किया: हाई कोर्ट
प्रशांत जारे की शादी 1995 में हुई थी। 12 नवंबर 2004 को उनकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाया कि उनकी बेटी को सास और उनके पति ने परेशान किया जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। अप्रैल 2008 में जिला अदालत ने प्रशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने के केस में सजा सुना दी। जज गनेडीवाला ने कहा कि जिस उक्त उनकी मौत हुई उस वक्त उसकी छोटी बेटी वहां मौजूद थी। प्रशांत ने उसे मारा और फिर जहर पिला दिया। ऐसे में पुलिस ने आत्महत्या का केस क्यों दर्ज किया।