नई दिल्ली। भारत में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू है। उच्च शिक्षा प्राप्त करना हर व्यक्ति का अधिकार है लेकिन यदि वह व्यक्ति एक शासकीय कर्मचारी है तो क्या वह स्वतंत्रता पूर्वक अपनी मर्जी के अनुसार इस अधिकार का उपयोग कर सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया कि शैक्षणिक अवकाश कर्मचारियों का अधिकार नहीं है बल्कि कर्मचारी संस्था के नियमों से बने होते हैं। अवकाश स्वीकृत करना या उसे अस्वीकृत कर देना नियोक्ता एवं सरकार का अधिकार है।
कर्मचारी को अवकाश देना या ना देना, संस्था का अधिकार: हाई कोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के एक डॉक्टर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सरकार की तरफ से शैक्षणिक अवकाश नहीं देने के फैसले को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव ने अपने फैसले में कहा कि किसी को अवकाश दिया जाना संस्थान की आवश्यकता और वहां की जरूरतों के आधार पर ही तय किया जा सकता है।
दिल्ली के डॉक्टर रोहित कुमार का शैक्षणिक अवकाश केजरीवाल सरकार ने रद्द कर दिया था
दरअसल दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के तौर पर कार्यरत डॉ. रोहित कुमार ने चंडीगढ़ स्थित पीजीआई से एमएस/एमडी करने के लिए शैक्षणिक अवकाश की अनुमति मांगी थी। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर देने के बावजूद दिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के कारण अवकाश देने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली के डॉक्टर रोहित कुमार हाईकोर्ट से शैक्षणिक अवकाश स्वीकृत कराना चाहते थे
सरकार के इस निर्णय को चुनौती देते हुए याची की अधिवक्ता गीता लूथरा ने तर्क रखा कि डॉक्टर मेधावी है और उसे अस्पताल प्रबंधन ने भी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया है। इसके बावजूद दिल्ली सरकार अवकाश नहीं दे रही। उन्होंने हाईकोर्ट से सरकार को शैक्षणिक अवकाश देने का निर्देश देने का आग्रह किया।
अवकाश लेना कर्मचारी का अधिकार नहीं: दिल्ली सरकार
वहीं दिल्ली सरकार के अधिवक्ता अविनाश अहलावत ने कहा कि शैक्षणिक अवकाश संस्थान की जरूरतों को ध्यान में रखकर दिया जाता है। अवकाश लेना व्यक्ति का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण डॉक्टरों की कमी है और इसे देखते हुए संबंधित प्रशासन उन्हें शैक्षणिक अवकाश देने से मना कर सकता है। अदालत ने सरकारी वकील के तर्क से सहमति जताते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।