शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सहायक उपनिरीक्षक हरि सिंह विरुद्ध हिमाचल प्रदेश पुलिस के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ डिपार्टमेंटल इंक्वायरी चल रही है तो इसके कारण उसका प्रमोशन नहीं रोका जा सकता। इसी के साथ उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता एएसआई को बैक डेट में प्रमोशन देने का आदेश जारी कर दिया।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हरि सिंह की दायर याचिका का निपटारा करते हुए अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि प्रार्थी को सजा के लिए जारी किया गया कारण बताओ नोटिस और उसके सेवा के रिकॉड में की गई प्रतिकूल टिप्पणी कानून सम्मत नहीं है। न्यायालय ने पाया कि पुलिस विभाग ने प्रार्थी को पदोन्नत करने से यूं ही वंचित कर दिया।
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार 21 मार्च 2017 को एसपी मंडी ने प्रार्थी को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह पूछा था कि क्यों न उसके खिलाफ सेवा में लापरवाही बरतने के लिए सेनशियोर की सजा दी जाए। इसके अलावा उसके सेवा से संबंधित रिकॉर्ड में भी एक अप्रैल 2016 से 30 मार्च 2017 तक आपराधिक मामले में जांच को ठीक ढंग से न किए जाने के आरोप के लिए प्रतिकूल टिप्पणी की गई थी।
प्रार्थी का यह आरोप था कि इस कारण गलत तरीके से अपर स्कूल कोर्स को उत्तीर्ण करने के बावजूद भी उसे सब इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत नहीं किया गया। प्रार्थी ने उसके खिलाफ जारी किए गए कारण बताओ नोटिस व उसकी प्रतिकूल टिप्पणी के खिलाफ दायर प्रतिवेदन और अपील में पारित किए गए आदेशों को रद्द करने की गुहार लगाई गई थी। न्यायालय ने पाया कि एक ही कारण के लिए सजा के लिए कारण बताओ नोटिस और सेवा रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी करना कानूनी तौर पर गलत है।