भोपाल। लोक शिक्षण संचालनालय, मध्यप्रदेश ने एक सर्कुलर जारी करके फीस के लिए विद्यार्थियों को प्रताड़ित करने वाले स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दे दिए हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि फीस के लिए विद्यार्थियों को प्रताड़ित करने वाले स्कूल संचालकों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट-2015 की धारा-75 के तहत मामले दर्ज करवाएं। जिसमें 3 साल की सजा और 1 लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान है।
फीस लेट हो जाए तो विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लास से निकाल देते हैं
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर फीस निर्धारण पहले ही किया जा चुका है। इसके बावजूद निजी स्कूलों द्वारा पालकों पर दबाव बनाते हुए फीस जमा नहीं कर पाने पर बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा से वंचित किया जा रहा है। जागृत पालक संघ के एडवोकेट चंचल गुप्ता ने बताया कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा एक आदेश जारी किया गया, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि बच्चों की फीस समय पर प्राप्त न होने का मुद्दा स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों से संबंधित है। इसे अभिभावकों से चर्चा कर दूर किया जाना चाहिए।
स्कूल संचालकों को बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम की धारा-75 के तहत सजा मिलेगी
किसी भी स्थिति में बच्चों को स्कूल आने से, ऑनलाइन कक्षा, परीक्षा इत्यादि में समिलित होने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। यदि कोई निजी स्कूल फीस के कारण बच्चों को स्कूल आने से रोकता है या ऑनलाइन पढ़ाई, परीक्षा इत्यादि से वंचित करता है तो यह बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम की धारा-75 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है, जिसमें संबंधित स्कूल संचालक या प्राचार्य को 3 वर्ष कारावास या 1 लाख रुपए तक का दंड हो सकता है। या दोनों सजा भी मिल सकती है।