फर्जी वोटिंग का मामला किस धारा के तहत दर्ज कराएं
भारत में चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत के साथ ही फर्जी वोटिंग की भी शुरुआत हो गई थी। आजादी के काफी समय बाद तक भारत के कई ग्रामीण इलाकों में घर का मुखिया पूरे घर वालों के वोट अपनी मर्जी से डाल आता था। आज भी कई इलाके ऐसे हैं जहां गांव अथवा बस्ती के दबंग लोग, दूसरे लोगों के वोट डाल देते हैं, और इसके बारे में उन्हें बता भी दिया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं, आपका वोट कोई ₹500 का नोट नहीं है जिसे किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित किया जा सके। इस तरह की वोटिंग करने वालों को फर्जी वोटर कहते हैं। आईपीसी में ऐसे लोगों को जेल भेजने के पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं।भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 171 घ की परिभाषा:-
जो कोई व्यक्ति चुनाव प्रक्रिया से समय निम्न कृत्य करेगा-
1. किसी अन्य व्यक्ति को स्वयं बताकर वोट देगा।
2. जिस व्यक्ति की मृत्यु हो गईं हो या कही बाहर गया हो चुनाव के समय उसकी वोट स्वयं डालेगा।
3. जबर्दस्ती मतदान केंद्र में जाकर किसी अन्य व्यक्ति के नाम की वोट की अपने या अपने प्रतिनिधि के पक्ष में डालेगा।
उपर्युक्त कृत्य करने वाला व्यक्ति धारा 171 घ के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 171 घ के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान धारा 171 च में किया गया है। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं,यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। सजा- इस अपराध में एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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