इंदौर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर ललित दाहिमा को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने वापस लौटा दिया है। आईएएस दाहिमा ने स्पेशल कोर्ट के खिलाफ हाईकोर्ट में जमानत याचिका पेश की थी। स्पेशल कोर्ट ने आईएएस दाहिमा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
आईएएस ललित दाहिमा ने गिरफ्तारी से बचने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी
आठ करोड़ रुपये के मंडी घोटाला मामले में जारी हुए गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ दाहिमा ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी, लेकिन उन्हें वहां से कोई राहत नहीं मिली। हाई कोर्ट ने कहा कि जिस न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है दाहिमा वहीं जमानत आवेदन प्रस्तुत करें। कोर्ट उसी दिन जमानत पर निर्णय लेगी।
क्या गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ अग्रिम जमानत प्राप्त की जा सकती है
दाहिमा के खिलाफ हाल ही में विशेष न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए ईओडब्ल्यू एसपी से कहा है कि वे 19 फरवरी को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करें। इस आदेश को चुनौती देते हुए दाहिमा ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। सोमवार को जस्टिस विवेक रूसिया के समक्ष इस पर सुनवाई हुई। ईओडब्ल्यू की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पैरवी की।
जिस कोर्ट से वारंट जारी हुआ ललित दाहिमा को उसी कोर्ट में पेश होना पड़ेगा
उन्होंने तर्क रखा कि यह मामला अग्रिम जमानत का है ही नहीं। बार-बार समन जारी होने के बावजूद दाहिमा उपस्थित नहीं हो रहे हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि वे न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने तर्क सुनने के बाद अग्रिम जमानत याचिका इस आदेश के साथ निराकृत कर दी कि दाहिमा विशेष न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर नियमित जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत करें। कोर्ट उसी दिन इस आवेदन पर फैसला लेगी।
19 को होना होगा उपस्थित
मंडी शुल्क घोटाला मामले में दर्ज प्रकरण की सुनवाई 19 फरवरी को होना है। यानी दाहिमा को इस दिन विशेष न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होगा। उसी दिन तय हो जाएगा कि उन्हें जमानत मिलेगी या नहीं। जमानत नहीं मिलने की स्थिति में दाहिमा की गिरफ्तारी भी हो सकती है।
यह है मामला
2004 में तत्कालीन मंडी सचिव और वर्तमान कलेक्टर मनीषसिंह ने एरोड्रम पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनसे पहले मंडी सचिव रहे ललित दाहिमा के कार्यकाल में 23 फर्मों को फर्जी पते पर लायसेंस जारी किए गए। ये फर्में सालों तक बगैर मंडी शुल्क चुकाए व्यापार करती रहीं। जब वसूली के लिए नोटिस जारी किए तो पता चला कि दिए गए पतों पर फर्म का अस्तित्व ही नहीं है। इस तरह करीब आठ करोड़ रुपये मंडी शुल्क का घोटाला हुआ है।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले में तत्कालीन मंडी सचिव दाहिमा, अन्य कर्मचारियों सहित 28 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायालय में चल रही है। बार-बार समन जारी होने के बाद भी दाहिमा न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे थे। इस पर कोर्ट ने दाहिमा का गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।