इंदौर। नगरीय निकाय चुनाव के लिए प्रभारी और पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो ने आज गुरुवार दिनांक 11 फरवरी 2021 को इंदौर के महापौर पद के लिए कांग्रेस पार्टी की ओर से अधिकृत प्रत्याशी का नाम घोषित कर दिया। उन्होंने कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला का नाम इंदौर मेयर पद के लिए बतौर प्रत्याशी घोषित किया है।
संजय शुक्ला इंदौर के घोषित महापौर प्रत्याशी है: चुनाव प्रभारी विजय लक्ष्मी साधौ
चुनाव प्रभारी और पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ ने कहा कि लोकप्रिय विधायक या कह दूं कि भावी महापौर...। अब तक तो मेरा भाई अघोषित था, पर अब संजय शुक्ला घोषित महापौर प्रत्याशी है। यह हम कांग्रेसी या मंच वाले नहीं बोल रहे हैं। यह इंदौर की जनता का सर्वे बोल रहा है कि संजय शुक्ला इंदौर का अगला महापौर बनना चाहिए और बनेगा।
इंदौर कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में महापौर पद के उम्मीदवार का नाम घोषित
शहर कांग्रेस समिति द्वारा गुरुवार को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में आपाधापी और अव्यवस्थाओं के बीच महापौर पद के प्रत्याशी की घोषणा कर दी गई। नगर निगम चुनाव टिकट वितरण के लिए बनाई गई समन्वय समिति के सदस्य तय समय से करीब सवा घंटा देरी से सम्मेलन स्थल पर पहुंचे। इस कारण सुबह 11 बजे शुरू होने वाला सम्मेलन दोपहर करीब साढ़े 12 बजे शुरू हो सका। इस बीच कार्यकर्ता मंच के सामने शक्ति प्रदर्शन में लगे रहे। भीड़ हटाने और नारेबाजी बंद करवाने के लिए समन्वय समिति के सदस्य नेताओं को बार-बार मंच से अपील करना पड़ी।
ये नेता रहे सम्मेलन में शामिल
प्रभारी विजय लक्ष्मी साधौ, विभा पटेल के अलावा सज्जनसिंह वर्मा, जीतू पटवारी, संजय शुक्ला, विनय बाकलीवाल, राजेश चौकसे, कृपाशंकर शुक्ला, अमन बजाज और मोर्चा के अध्यक्ष अमित पटेल, शशि यादव, रमीज खान, दौलत पटेल, मुकेश ठाकुर, फौजिया शेख अलीम सहित अन्य निकाय चुनाव समिति के सदस्य भी मौजूद रहे।
इसलिए संजय का नाम रहा सबसे ऊपर
कांग्रेस की ओर से सबसे बड़े चेहरे के रूप में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी की ओर देखा जा रहा था, लेकिन उनका महापौर चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं था। इसके बाद संजय शुक्ला का नाम तेजी से उठा, इसका कारण यह था कि शुक्ला ने 2018 के विधानसभा चुनाव में नाक का सवाल बन चुकी इंदौर विस क्रमांक एक पर विधायक रहे सुदर्शन गुप्ता को पराजित किया था। इसके बाद से वे लगातार सक्रिय रहे। इनकी पार्टी में भी अच्छी पकड़ है। विधायक के चुनाव के दौरान कुछ नेताओं ने अपना नाम इनके कहने पर वापस ले लिया था। संजय कमलनाथ और दिग्विजय दोनों के ही करीबी माने जाते हैं।