बहुत खुशी होती हैं जब हमारा कोई व्यक्ति किसी चुनाव में लिए मैदान में हम दोस्त या रिश्तेदार के लिए चुनाव में बहुत पैसे लगा देते हैं जिसे हमारा प्रत्याशी चुनाव में हारने न पाए लेकिन हम यह नहीं जानते कि अगर हम हमारे अभ्यर्थी की बिना इजाजत के किसी प्रचार प्रसार में अपने स्वयं के पैसे भी खर्च करते हैं तो यह एक अपराध की श्रेणी में आता है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 171(ज) की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति चुनाव में अभ्यर्थी(प्रत्याशी) की अनुमति के बिना विज्ञापन में, प्रचार प्रसार में, लोगो को रिश्वत देने के लिए, खाने पिलाने में आदि में पैसा खर्च करता है तब वह व्यक्ति धारा 171 ज के अंतर्गत दोषी होगा।
【नोट(अपवाद):- व्यक्ति 10 रूपये का खर्च होने की बाद में तक अनुमति अभ्यर्थी द्वारा ले लेता है तब यह अपराध नहीं होगा।】
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 171 ज के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए कम से कम न्यायालय द्वारा 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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