जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के भेड़ाघाट के प्रसिद्ध चौसठ योगिनी मंदिर को एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। 12वीं शताब्दी में गुजरात की रानी गौसन देवी ने इस मंदिर में गौरीशंकर मंदिर का निर्माण कराया था, लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने अपनी सेना के साथ मिलकर इस मंदिर पर हमला करते हुए, बाहरी हिस्से की सभी मूर्तियाँ खंडित कर दी थीं।
सालों तक यह मंदिर नगर पंचायत की देख-रेख में था, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व इसे ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए पुरातत्व विभाग ने अपने अधिग्रहण में ले लिया था। पुरातत्व विभाग के रीजनल डायरेक्टर सुजीत नयन ने बताया की चौसठ योगिनी मंदिर के विकास को लेकर कई महत्वपूर्ण योजनाएँ बनाई गई हैं, जिनमें सबसे जरूरी यहाँ तक आसानी से पर्यटकों को पहुँचाने के लिए रैम्प मार्ग के साथ लिफ्ट बनाने का काम होगा। कई स्तर के निरीक्षण के बाद इसकी कार्ययोजना को लेकर काम शुरू कर दिया गया है।
भेड़ाघाट के प्रसिद्ध चौसठ योगिनी मंदिर में दर्शन के लिए अब श्रद्धालुओं को खड़ी सीढ़ियाँ चढ़कर परेशानी भरा योग नहीं करना पडे़गा। जल्द ही इसे मैहर के शारदा देवी मंदिर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। 11वीं शताब्दी के इस प्राचीन मंदिर के कायाकल्प के लिए पुरातत्व विभाग ने कई महत्वपूर्ण योजनाएँ बनाई हैं। इसके तहत मंदिर तक पर्यटकों को आसानी से पहुँचाने के लिए करीब तीन किलोमीटर लंबा रैम्प बनाया जाएगा।
लोग पैदल और दोपहिया-चारपहिया वाहनों से भी सीधे मंदिर तक पहुँच सकेंगे। इसके अलावा महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए लिफ्ट भी लगाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट में केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की तरफ से बजट भी स्वीकृत किया गया है, जिसको लेकर हाल ही में केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने पुरातत्व विभाग के अधिकारियों और देश के कई बड़े विशेषज्ञों के साथ निरीक्षण भी किया था।
भेड़ाघाट का चौसठ योगिनी मंदिर प्राचीन भारतीय सभ्यता का प्रतीक होने के साथ कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कल्चुरीवंश के राजा युवराज द्वितीय ने कराया था। 81 कोणों पर आधारित इस मंदिर के गर्भ गृह में शिव-पार्वती की अत्यंत प्राचीन प्रतिमा है और बाहरी हिस्से में चौसठ योगिनियाँ (प्रतिमाएँ) पहरे की मुद्रा में हैं।