भोपाल। इंदिरा गांधी के पॉलिटिकल पुत्र, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा हिंदू महासभा के एक नेता बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल करने पर मंडलम से लेकर दिल्ली तक पूरे देश में जमीनी कांग्रेस कार्यकर्ता ना केवल नाराज है बल्कि अपनी नाराजगी प्रकट भी कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश में ताजा बयान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का आया है। उन्होंने कहा कि "ये विचारधारा कि लड़ाई है,कांग्रेस हमेशा गांधी के मूल्यों पर चली, गोडसे पहला आतंकी था,उस विचारधारा से हमारा मेल कैसे हो सकता है।" इससे पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कई कार्यकर्ता एवं जमीनी नेता हिंदू महासभा के कार्यकर्ता को कांग्रेस में शामिल करने पर नाराजगी जता चुके हैं।
कमलनाथ की ऐसी क्या मजबूरी थी, हिंदू महासभा क्यों जरूरी थी
हिंदू महासभा से कांग्रेस पार्टी में गए बाबूलाल चौरसिया की निंदा उनकी अपनी पार्टी के लोग तो कर ही रहे, क्योंकि भारत में एक हिंदू महासभा ही ऐसी पार्टी थी जिसके कार्यकर्ता चुनाव से ज्यादा विचारधारा को महत्व देते थे लेकिन इस मामले में सबसे ज्यादा नुकसान कमलनाथ का हुआ है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि कमलनाथ की ऐसी क्या मजबूरी थी जो ग्वालियर के बाबूलाल चौरसिया जैसे नेता को कांग्रेस में शामिल करवाने के लिए कमलनाथ ने अपनी पार्टी के मूलाधार महात्मा गांधी तक को भुला दिया।