भोपाल। मध्यप्रदेश में शराबबंदी के लिए ताबड़तोड़ बयान बाजी करने वाली उमा भारती अपने आंदोलन के ऐलान से पीछे हट गई है। उन्होंने 8 मार्च से आंदोलन की घोषणा की थी परंतु अब उनके बयान बदल गए हैं। कह रही हैं कि सरकार के लिए शराब जरूरी है।
उमा भारती ने पहले कहा था शराब से राजस्व का नुकसान होता है
मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने जब अवैध शराब की बिक्री को रोकने के लिए अवैध शराब की सरकारी शराब की दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया तो उमा भारती भड़क उठी थी। उन्होंने कई बार यह तर्क भी दिया था कि शराब से सरकार को राजस्व प्राप्त नहीं होता बल्कि शराब के कारण जो अशांति और अपराध होते हैं, उनको नियंत्रण करने में राजस्व ज्यादा खर्च हो जाता है। आज अपने ताजा बयान में उन्होंने कहा कि सरकार को राजस्व की जरूरत होती है और राजस्व के लिए शराब भी जरूरी है।
जनहित नहीं गुटबाजी है, उमा भारती को मोहरे की तरह उपयोग किया गया
उमा भारती के ताजा बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर शिवराज सिंह सरकार में शामिल मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी के चर्चे शुरू हो गए हैं। दावा किया जा रहा है कि उमा भारती को शराब के मामले में एक मोहरे की तरह उपयोग किया गया था। भाजपा का कोई भी गुट शराबबंदी नहीं चाहता परंतु उमा भारती को मैदान में उतारा गया क्योंकि डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने मोर्चा संभाल लिया था।