MP में पेड़ काट कर बेच सकते हैं किसान, मप्र वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020

Bhopal Samachar
भोपाल।
मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ शिवराज सिंह चौहान सरकार किसानों के लिए मप्र वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020 लागू करने जा रही है। इसका फायदा यह होगा कि अपने खेत में लगे पेड़ काटकर बेचने के लिए किसान को किसी सरकारी कार्यालय से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। केवल वन विभाग को सूचना देनी होगी। पेड़ बबूल का हो या सागवान का सभी के लिए यह नियम लागू होगा।

मप्र वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020 ला रही है शिवराज सिंह सरकार

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री मनोज तिवारी की एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार 'मप्र वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020" ला रही है। जिसमें नए प्रावधान किए जा रहे हैं। अधिनियम का मसौदा तैयार है और अगले हफ्ते प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद कानून विधानसभा से पारित कराया जाएगा। विधानसभा का सत्र 22 फरवरी से प्रस्तावित है।

बबूल से लेकर सागवान तक सभी प्रकार की लकड़ी बेच सकते हैं किसान

निजी भूमि पर पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार मप्र वृक्षारोपण प्रोत्साहन अधिनियम 2020 ला रही है। कानून नगरीय निकायों की सीमा को छोड़कर पूरे प्रदेश में लागू होगा। निजी भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगने वाला और रोपा गया पौधा इस कानून के दायरे में आएगा। कानून लागू होने के बाद ऐसे किसी भी पेड़ को काटने और कटाई स्थल से डिपो तक परिवहन के लिए किसी से भी अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। यहां तक की इमारती लकड़ी कहे जाने वाले साल और सागौन की लकड़ी भी उत्पादक अपने डिपो से बेच सकेंगे। कानून के मसौदे पर विधि विभाग अभिमत दे चुका है। इसे वरिष्ठ सदस्य सचिव समिति की मंजूरी भी मिल चुकी है।

मध्यप्रदेश में पेड़ों का रजिस्ट्रेशन होगा, काटने से पहले वन विभाग को सूचना देंगे

कानून आने के बाद ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमि में लगे पेड़ों का हिसाब देना होगा। उन्हें वन विभाग में पंजीयन कराना होगा। इसमें खसरे पर पेड़ दिखाने होंगे। जिसमें यह भी रहेगा कि पेड़ किस प्रजाति का है और कितने साल पुराना है। इस जानकारी में पेड़ की लंबाई और मोटाई भी देना होगी। इतना ही नहीं, इन पेड़ों को काटने से पहले वन विभाग को अनिवार्य रूप से सूचना देना होगी।

ट्रांजिट परमिट ऑनलाइन मिलेगा, वन विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे

सागौन और साल की लकड़ी के मामले में उत्पादक को पंचायत क्षेत्र से बाहर परिवहन करने के लिए ट्रांजिट परमिट (टीपी) लेना जरूरी होगा। वन विभाग की वेबसाइट पर परमिट ऑनलाइन जेनरेट करने की व्यवस्था की जा रही है। उसे किसी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।

पेड़ काटने की सूचना नहीं देने पर 50 हजार का जुर्माना

पेड़ काटने से पहले सूचना न देने या नियमों को दरकिनार कर परिवहन की कोशिश करने पर अधिकतम 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा। इसके लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम) अधिकृत होंगे। एसडीएम के फैसले के खिलाफ कलेक्टर के समक्ष अपील का प्रविधान भी किया गया है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!