भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 'मध्य प्रदेश पुलिस रेग्युलेशन एक्ट" में संशोधन को मंजूरी दिए जाने के बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ राजेश राजौरा ने आज पुलिस विभाग के कर्मचारियों को उच्चतर पद पर कार्यवहन (एक प्रकार का प्रमोशन) के आदेश जारी कर दिए हैं।
शिवराज सिंह के 'माई का लाल' के कारण 2016 से प्रमोशन रुके हुए हैं
मध्य प्रदेश में अप्रैल 2016 से पदोन्नति पर रोक है और मार्च-2020 से बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पुलिस महकमे में आपराधिक मामलों की जांच की गति धीमी होने लगी थी। जिसे देखते हुए राज्य शासन ने एक्ट में संशोधन किया है। अब कनिष्ठ अधिकारी खाली वरिष्ठ पदों का कामकाज कुछ शर्तों के साथ संभाल सकेंगे। 2018 में सेवानिवृत्ति की आयु दो वर्ष बढ़ाने के कारण दस महीने से सेवानिवृत्ति होने वाले कर्मचारियों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हो गई है।
मध्य प्रदेश पुलिस में उच्चतर पद पर कार्यवहन की पात्रता की शर्तें
आरक्षक से प्रधान आरक्षक पद के लिए पांच साल का सेवाकाल अनिवार्य है।
प्रधान आरक्षक से सहायक उप निरीक्षक के लिए तीन साल,
उप निरीक्षक से निरीक्षक के लिए छह साल और
निरीक्षक के उप पुलिस अधीक्षक पद के लिए आठ साल की सेवा होना जरूरी है।
उच्चतर पद पर कार्यवहन में सिर्फ पद मिलेगा वेतनमान नहीं बढ़ेगा
उच्चतर पद पर कार्यवहन करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को वर्दी पर उच्चतर पद का रैंक लगाने की अनुमति दी जाएगी, पर वे वरिष्ठता और उच्चतर पद के वेतन की पात्रता नहीं रखेंगे।
मध्य प्रदेश पुलिस में कितने पद खाली हैं
उप पुलिस अधीक्षक -- 300
निरीक्षक -- 702
उप निरीक्षक -- 770
सहायक उप निरीक्षक -- 4162
प्रधान आरक्षक -- 5768
कार्यवहन आदेश से पुलिस अधिकारियों की संतुष्टि का स्तर बढ़ेगा
उच्च पद का कार्यवाहक प्रभार मिल जाने और उच्च रैंक की वर्दी धारण करने का अधिकर मिल जाने से पदोन्नति संबंधी पुलिस अधिकारियों का संतुष्टि का स्तर बढ़ेगा। इसके साथ ही विभागीय दक्षता भी बढ़ेगी।
डा राजेश राजौरा,एसीएस (गृह) मप्र
प्रमोशन के इंतजार में मध्य प्रदेश पुलिस के 65 हजार कर्मचारी रिटायर हो गए
मध्यप्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है। इन पौने पांच सालों में 65 हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं, जिनमें करीब 28 हजार को पदोन्नति बगैर ही सेवानिवृत्त होना पड़ा। वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयुसीमा 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी थी। इस कारण अप्रैल 2018 से मार्च 2020 तक प्रदेश में कर्मचारी सेवानिवृत्त नहीं हुए। इसके बाद फिर सेवानिवृत्ति का सिलसिला शुरू हो गया।