भोपाल। प्रदेश अध्यक्ष बनते ही कमलनाथ ने सबसे पहला काम अरुण यादव गुट के लोगों को लूप लाइन में डालने का किया था। इस एक्सरसाइज के दौरान कुछ ऐसे नेताओं को भी किनारे कर दिया गया जो कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते हैं। केके मिश्रा एक ऐसा ही नाम है। लंबे समय के बाद कमलनाथ को केके मिश्रा का महत्व समझ में आया और केके मिश्रा की प्रतिष्ठा वापस कर दी गई।
केके मिश्रा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव (मीडिया)
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने बताया है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देश पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता केके मिश्रा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव (मीडिया) का दायित्व सौपा गया है। उक्त संबंध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आदेश जारी किया गया है। अभी ऐसे दर्जनभर नाम और बाकी है, जो कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते हैं। उनमें से कुछ कमलनाथ के उपयोग में आने के लिए तैयार नहीं है। यदि कमलनाथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को खड़ा करना चाहते हैं तो उन्हें स्वयं से ज्यादा पार्टी को महत्व देना पड़ेगा।
कमलनाथ कैंप के पहलवान सरकार के माथे पर शिकन तक नहीं दे पाए
मध्यप्रदेश में जनता द्वारा चुनी गई कांग्रेस की सरकार को सड़क पर ला दिया गया। उसके बाद से लेकर अब तक मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार मनचाहे फैसले ले रही है। विपक्ष के नाम पर कांग्रेस पार्टी की ओर से सिवाए औपचारिक विरोध के और कुछ भी नहीं हो पा रहा है। कमलनाथ द्वारा तैनात किए गए अपने कैंप के पहलवान, मुख्यमंत्री तो दूर की बात शिवराज सरकार की एक भी मंत्री के माथे पर शिकन नहीं डाल पाए। पिछले कुछ दिनों से तो राजधानी के निष्पक्ष पत्रकार भी कांग्रेस पार्टी को सबसे कमजोर विपक्ष मानने लगे थे।
वरिष्ठता के बावजूद केके मिश्रा को योग्यता साबित करनी पड़ी
लूप लाइन में लगा दिए गए केके मिश्रा को वरिष्ठता के बावजूद अपनी योग्यता साबित करनी पड़ी। लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें ग्वालियर की जिम्मेदारी सौंपी गई। ग्वालियर संभाग एक ऐसा मोर्चा था जहां कमलनाथ के आराम पसंद पहलवान कसरत करने के मूड में नहीं थे। केके मिश्रा ने ना केवल भारतीय जनता पार्टी पर ताबड़तोड़ हमले किए बल्कि कमलनाथ के टारगेट नंबर-1 ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाक में दम कर के रख दिया था।