भोपाल। जबलपुर हाईकोर्ट की MCC/1349 के दिनांक 1-2-2021 के आदेश अनुसार दिव्यांग अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए 28-2-2021 तक का समय दिया है। अब उच्च शिक्षा विभाग और लोक सेवा आयोग को दिव्यांग अभ्यर्थियों (सहायक प्रध्यापक पद) की नियुक्ति 28-2-2021 तक करने को कहा है।
दिव्यांगजनों ने जबलपुर हाईकोर्ट तथा श्री एस. के .रूगटा (सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट) का आभार माना है। सहायक प्रध्यापक परीक्षा - 2017 का मूल विज्ञापन दिनांक 12/12/2017 को लोक सेवा आयोग की साइट पर प्रकाशित हुआ था। जबकि मध्यप्रदेश में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 दिनांक 25 जनवरी 2018 से लागू हुआ है। अतः यह अधिनियम इस पर विज्ञापन में लागू नहीं होगा। बहुविक्लांगता की श्रेणी नहीं दी जाएगी तथा यह पद न तो पहले विज्ञापन में दिये गए थे।
जबलपुर हाईकोर्ट WP/19393 दिनांक 29-4-2020 का आदेश के पृष्ठ 6 के अनुसार दृष्टिबाधित उमीदवारों को 2% ,अस्थिबाधित उमीदवारों को 2% तथा श्रवणबाधित उमीदवारों को 2% आरक्षण देने को कहा है इसलिए कुल स्वीकृत पदों पर 6℅ आरक्षण केवल तीन श्रेणीयो (दृष्टिबाधित उमीदवारों को 2% ,अस्थिबाधित उमीदवारों को 2% तथा श्रवणबाधित उमीदवारों को 2% आरक्षण)को दिया जाएगा।किन्तु जबलपुर हाईकोर्ट का WP/19393 दिनांक 29-4-2020 के आदेश के 9 माह बाद भी उच्च शिक्षा विभाग ने न तो नियुक्ति दी है और न ही पदों का व्यौरा उच्च शिक्षा विभाग ने विभागीय पोर्टल पर अपलोड किया है।
लोक सेवा आयोग ने पूर्व में जबलपुर हाईकोर्ट में MCC/938 लगाई थी जिसमें उन्हें पूर्व में नियुक्ति के लिए 31-12-2020 तक का समय दिया गया था परन्तु नियुक्ति तो दूर लोक सेवा आयोग ने चयन सूची तक जारी नहीं की। इसके बाद भी लोक सेवा आयोग ने पुनः जबलपुर हाईकोर्ट में MCC/1349 लगाई जिसमें हाईकोर्ट ने नियुक्ति के लिए 28-2-2021 तक का समय दिया है।लोक सेवा आयोग और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि एक दिव्यांगजन अपनी जिंदगी में कितनी विषम परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण करता है।
शिक्षा के पश्चात जब रोजगार की बात आती है तो सरकारी नीतियां किस तरह से उसकी राह में बाधक बनती है कि जैसे आरक्षण में त्रुटी के कारण दिव्यांगजन परीक्षा उत्तीर्ण होते हुए भी आज बेरोजगार है। अब देखना है कि लोक सेवा आयोग और उच्च शिक्षा विभाग को दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशीलता है कि नहीं जबकि इस वैश्विक विपत्ति के समय दिव्यांगजन अभ्यर्थी बेरोजगार है और उन्हें रोजगार की अत्यंत आवश्यकता है।आज भी दिव्यांगजन मानसिक ,सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हैं।