इतिहास पढ़ने का सबसे सही तरीका होता होता है कि हम जब भी उसे पढ़े तो एक क्रम (Sequence) में पढ़ने की कोशिश करें। जैसे- हम कोई फिल्म या फिर सीरियल देखते हैं। अगर फिल्म बीच में छूट गई तो वहीं से दोबारा शुरू करें।
जिस प्रकार हम भारत के इतिहास को चार भागों में विभाजित करके पढ़ते हैं। ठीक उसी तरह मध्य प्रदेश के इतिहास को भी चार भागों में बांटा गया है।
1.प्रागैतिहासिक काल ( Prehistorc Time)
2.प्राचीन काल ( Ancient Time)
3.मध्यकाल ( Midivial Time)
4.आधुनिक काल ( Modern Time)
आज हम यहां आपको मध्य प्रदेश के प्रागैतिहासिक काल से जुड़े static or fix G.K. के दो प्रश्न और उनके उत्तर देंगे ( with explanation)
प्रागैतिहासिक काल का अर्थ है - वह काल जब मनुष्य पत्थरों व तांबे के बर्तनों का उपयोग करता था। तो पहला सवाल है
1. प्रागैतिहासिक काल को कितने भागों में बांटा गया है?
a) 2 b) 3 C) 4 d) 5
सही उतर- a) 2
Explaination- पाषाण काल एवं ताम्र पाषाण काल
पाषाण काल - जिसमें मनुष्य पत्थरों (Stone) का उपयोग करता था।
ताम्र पाषाण काल - जिसमें मनुष्य धातु (Metal) का उपयोग करता था।
2. मनुष्य द्वारा उपयोग की जाने वाली पहली धातु कौन सी थी ?
a) लोहा b) तांबा c) चाँदी d) सोना
सही उत्तर - b) तांबा
Explanation - तांबे को ताम्र या कॉपर भी कहा जाता है। इसे रासायनिक चिन्ह Cu द्वारा प्रकट किया जाता है। इसकी परमाणु संख्या 29 है। ऐसा माना जाता है कि तांबे का सर्वप्रथम प्रयोग करीब 5000 ई0 पू0 में किया गया। भारत में ताम्र पाषाण काल अवस्था के मुख्य क्षेत्र दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, मध्यप्रदेश के पश्चिमी भाग, पश्चिमी महाराष्ट्र तथा दक्षिण-पूर्वी भारत में हैं। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में स्थित बनास घाटी से सूखे क्षेत्रों में अहार एवं गिलुंड नामक स्थानों की खुदाई की गयी। मालवा, एवं एरण स्थानों पर भी खुदाई का कार्य सम्पन्न हुआ जो पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित है।
खुदाई में मालवा से प्राप्त होने वाले मृदभाण्ड ताम्रपाषाण काल की खुदाई में प्राप्त अन्य मृदभाण्डो में सर्वोत्तम माने गये है। पश्चिमी महाराष्ट्र में हुए व्यापक उत्खनन क्षेत्रों में अहमदनगर के जोर्वे, नेवासा एवं दायमाबाद, पुणे, जिले में सोनगांव, इनामगांव आदि क्षेत्र सम्मिलित है। ये सभी क्षेत्र ‘जोर्वे संस्कृति' के अन्तर्गत आते है। इस संस्कृति का समय 1400-700 ई0 पू0 करीब माना जाता है। वैसे तो यह सभ्यता ग्रामीण थी पर कुछ भागों जैसे दायमाबाद उवं इनामगांव में नगरीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गयी थी। बनासघाटी में स्थित अहार में सपाट कुल्हाड़ियां, तलबार, चूड़ियां और कई तरह के चादरें प्राप्त हुई हैं। ये सब तांबे से निर्मित उपकरण थे।