मंडला। ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए कर्मचारियों ने न्यू पेंशन स्कीम का बायकाट कर दिया है। कर्मचारियों ने भारत के प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर उनके वेतन से NPS कटौती बंद करने के लिए कहा है।
ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डीके सिंगौर, प्रदेश मीडिया प्रभारी संजीव सोनी, वरिष्ठ आईटी सेल उपाध्यक्ष श्रीमती रश्मि मरावी, जिला अध्यक्ष दिलीप मरावी, जिलाध्यक्ष महिला विंग मीना साहू, एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी सरिता सिंह, संजू लता सिंगौर, रविंद्र चौरसिया की मौजूदगी में शिक्षकों और कर्मचारियों ने पत्र लिखे एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि पत्र लिखने की यह मुहिम सतत जारी रहेगी, जो कि प्रदेश स्तर के साथ साथ पूरे राष्ट्रीय स्तर पर यह मुहिम चलेगी, जिसमें सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों और लाखों की संख्या में पत्र लिखे जाएंगे और एनपीएस योजना का बायकाट किया जाएगा। उपस्थित शिक्षकों का कहना है कि हजार बारह सौ की पेंशन लेने से अच्छा है सरकार इस पेंशन योजना को बंद ही कर दे।
शिक्षकों की मांग है कि सरकार बीमा कंपनी के माध्यम से पेंशन दे, इससे अच्छा है कि उनकी जमा शत प्रतिशत राशि रिटायरमेंट पर या मृत्यु होने पर एकमुश्त सेवानिवृत्त कर्मचारी या परिवार को लौटा दी जाए। एनपीएस योजना से ना तो सरकार का भला हो रहा है और ना ही कर्मचारियों का।इससे सिर्फ प्राइवेट कंपनियों और बीमा कंपनियों का ही भला हो रहा है।
कर्मचारियों शिक्षकों द्वारा पत्र में लिखे गए बिंदु -
1. एनपीएस में मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 की विपरीत शेयर मार्केट पर सट्टा आधारित है।
2. एनपीएस में बीमा कंपनी एनयूटी रेट के आधार पर कंपनी का पेंशन प्लान प्रदान करती है, जबकि एनयूटी रेट लगातार घट रहा है।
3. एनपीएस में महंगाई के आधार पर पेंशन में कोई वृद्धि नहीं होती है, जिससे बढ़ी हुई महंगाई के बाद पेंशन की राशि महत्वहीन हो जाती है।
4. एनपीएस में न्यूनतम पेंशन योजना का कोई प्रावधान नहीं है।
5. एनपीएस में अंशदान फंड की वापसी टैक्सेबल है।
6. एनपीएस में बहुत ही विशेष कारणों में अल्प राशि ही आंशिक आहरण के द्वारा प्राप्त होती है।
7. एनपीएस में पेंशन राशि अंतिम वेतन का लगभग 6 से 10% ही होती है, जो कि वर्तमान में अधिकतम चार अंक (800 से 2500₹) में ही बन रही है।
8. एनपीएस में देय पेंशन किसी कर्मचारियों को आत्मनिर्भर नहीं बनाती है।
9. एनपीएस में देय पेंशन कर्मचारी को अपमानित महसूस कराता है।
10. एनपीएस में सेवानिवृत्त/ मृत्यु पर अनुदान की पूरी राशि चाहने पर भी एक मुफ्त प्रदान नहीं की जाती है।
11. एनपीएस योजना में केंद्र सरकार के कर्मचारियों महाराष्ट्र के कर्मचारियों उत्तर प्रदेश आदि के कर्मचारियों के मामले में सरकार 14% अंशदान जमा करती है जबकि मध्यप्रदेश में सरकार मात्र 10% अंशदान जमा कर रही है। अंत में कर्मचारियों ने लिखा है कि कुल मिलाकर एनपीएस योजना से मेरा कोई फायदा नहीं है, इसलिए इस योजना से मुझे बाहर किया जाए। मेरी अंशदान कटौती भी बंद कर दी जाए और एनपीएस में जमा समस्त राशि को लौटा दी जाए। जिला मुख्यालय में आयोजित एनपीएस बॉयकॉट कार्यक्रम में ब्लाक अध्यक्ष सुनील नामदेव, अमरसिंह चंदेला, कमलेश मरावी, कमोद पावले, अनुराग जैन, लोक सिंह पदम, राजकुमार बघेल, रमेश गुमास्ता, मंगल सिंह पंद्रे, उमेश यादव, गंगाराम यादव, आसित लोध, प्रदीप पटेल, भागवत तेकाम, बताशा मसकोले, शशिबाला राय, अंजू दुबे सहित ट्रायबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों ने सभी एनपीएस धारी कर्मचारियों से एनपीएस का बॉयकॉट करने का अनुरोध किया।