भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक लाख से अधिक स्कूलों को मर्ज कर 9200 स्कूलों को सीएम राइज योजना के तहत अपग्रेड किए जाने के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा होटल पलास में सोमवार को शिक्षक संगठनों की बैठक आयोजित की गई। जिसमें शिक्षक संगठनों ने लिखित और मौखिक तौर अपने सवाल, सुझाव और आपत्ति रखी। अधिकांश शिक्षक संगठनों का मत था कि सीएम राइज योजना के नाम पर मुट्ठी भर स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए बाकी स्कूलों को मर्ज करने के नाम पर बंद करना शिक्षा का अधिकार अधिनियम जिसमें कि हर 1 किलोमीटर पर प्राथमिक स्कूल, हर 3 किलोमीटर पर माध्यमिक स्कूल तथा हर 5 किलोमीटर हाईस्कूल की सुविधा होने की बात कही गई है, का उलंघन होगा।
आरटीई में एक शाला एक परिसर का भी प्रावधान नहीं था। इसके बावजूद शासन ने स्कूलों की संख्या कम करने के लिए इस योजना को लागू किया जो कि व्यावहारिक नहीं है। हालांकि विभाग ने तर्क दिया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का ध्यान रखा जाएगा। सरकारी स्कूलों का निजीकरण नहीं किया जाएगा। संगठनों ने तर्क दिया कि शासन यदि वास्तव में सरकारी स्कूलों की कम होती संख्या और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चिंतित है, तो प्रदेश भर में हर गली कूचे में नियम विरुद्ध मान्यता देकर खोले गए प्राइवेट स्कूलों को बंद करें। गलत तरीके से मान्यता देने वालों पर कार्रवाई करें।
शिक्षकों का तर्क था कि ऐसे फर्जी प्राइवेट स्कूल ही जब आंगनबाड़ी से 3 वर्ष का बच्चा उठाकर सरकारी खर्च पर निशुल्क शिक्षा के नाम पर अपने स्कूल में दर्ज कर लेगा, तो सरकारी स्कूलों को कक्षा पहली में 6 साल का बच्चा कहां से मिलेगा। कई स्कूलों में कम होती दर्ज संख्या का प्रमुख कारण यही बताते कहा है कि शासन ने नियम विरुद्ध फर्जी प्राइवेट स्कूलों को मान्यता दी हुई है जिन्हे बंद किया जाना गरीब छात्र और सरकारी स्कूलों के हित में होगा।
विभाग को चाहिए कि प्रत्येक सरकारी स्कूलों में नर्सरी शुरू करें, निजी और सरकारी स्कूलों का पाठ्यक्रम एक समान किया जाए, सरकारी स्कूलों में शिक्षको की पर्याप्त उपलब्धता के साथ-साथ शिक्षकों को गैर शिक्षिकीय कार्यों से पूरी मुक्त किया जाए, उन्हे पदोन्नति जैसे प्रोत्साहन के अवसर भी उपलब्ध कराए तो सरकारी स्कूलों को मर्ज या बंद करने की नौबत नहीं आएगी।
उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा योजना के लिए एक लाख दो हजार स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है। इस योजना के तहत पहले चरण में 350 स्कूलों को अपग्रेड कर योजना को शुरू किया जाएगा इस हेतु बजट में 1500 करोड़ का भी प्रावधान किया गया है, लेकिन योजना के क्रियान्वयन के पहले शिक्षकों में असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं। यही वजह है की मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को विश्वास में लेने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था, लेकिन बैठक में अधिकांश संगठन सरकारी स्कूलों को बृज करने के पक्ष में नजर नहीं आए।