भोपाल। केंद्र सरकार प्रत्येक 10 वर्ष बाद महंगाई दर और मूल्य सूचकांक आधार पर वेतनमान का पुनरीक्षण करते हुए नया वेतनमान लागू करती है, जिसका अनुसरण राज्यों को करना होता है, लेकिन मध्य प्रदेश में लंबे समय से चाहे पांचवा वेतनमान हो छठवां वेतनमान हो अथवा सातवां वेतनमान हो वेतनमान की सिफारिशों को पूरी तरह लागू नहीं किया गया है, इस विसंगति के चलते मध्यप्रदेश के कर्मचारी केंद्र सहित अन्य राज्यों की तुलना में वेतनमान में सबसे पीछे है।
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश दुबे का कहना है कि यदि उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान जैसे अनेक राज्यों का उदाहरण देखें तो वहां केंद्रीय वेतनमानो का अनुसरण करते हुए वहां की राज्य सरकारों ने देर सवेर ही सही पर अपने राज्य के शिक्षक-कर्मचारियों को सभी प्रासंगिक लाभ दिए है लेकिन मध्यप्रदेश में लंबे समय ऐसा नहीं हो रहा है। मध्यप्रदेश शासन ने केंद्रीय वेतनमान के आधार पर किसी भी वेतनमान में राज्य के शिक्षक कर्मचारियों को समुचित लाभ नहीं दिया है।
राज्य के शिक्षक कर्मचारियों को पांचवें, छठवे सातवें वेतनमान के आधार पर केंद्र तथा अन्य राज्यों में जो 9300-34800 पे ग्रेड 4200 न्यूनतम है उसे राज्य शासन के शिक्षक कर्मचारियों को 30 वर्ष का सेवाकाल पूर्ण होने पर तीसरी क्रमोन्नति के रूप में दिया जा रहा है, वर्तमान में राज्य में प्रारंभिक वेतनमान 5200-20200 पे ग्रेड 2400 दिया गया है!
नहीं की जा रही 7वे वेतनमान के अनुरूप बीमा कटौती
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री संजय तिवारी का कहना है कि मध्यप्रदेश में सातवां वेतनमान 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया था, लेकिन बीमा कटौती छठवें वेतनमान के अनुसार ही जारी है, जिससे सेवा अवधि में शिक्षक कर्मचारी की मृत्यु होने पर शिक्षकों के आश्रित परिवार को महगाई के इस दौर में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है!
गृह भाड़ा भी पुरानी दर पर जारी
शिक्षक कर्मचारियों को गृह भाड़ा भी छठवें वेतनमान के अनुसार दिया जा रहा है जबकि अन्य राज्यों में सातवें वेतनमान के अनुसरण में कर्मचारियों को गृह भाड़ा भत्ता दिया जा रहा है
कर्मचारी उठा रहे हैं 12 से 18 हजार प्रतिमाह का नुकसान
संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेशचंद दुबे का कहना है कि विसंगति दूर ना होने तथा सातवें वेतनमान के अनुसार गृह भाड़ा का लाभ ना दिए जाने के चलते राज्य शासन के शिक्षक- कर्मचारियों को प्रतिमाह औसतन 12 से 18 हजार रूपये आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। समग्र शिक्षक संघ ने वेतनमानों में व्याप्त विसंगतियों को दूर करते हुए राज्य शासन से शिक्षक-कर्मचारियों को सातवें वेतनमान की अनुशंसाओ के अनुसार बीमा कटौती करने तथा गृह भाड़ा का लाभ देने की मांग दोहराई है।