भोपाल। राजनीति में रुचि रखने वाले नागरिकों के लिए यह एक अच्छी खबर है। मध्यप्रदेश की विधानसभा में बजट सत्र के दौरान पहली बार एक दिन नए विधायकों के लिए आरक्षित होगा। विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने पत्रकारों को आज इसकी जानकारी दी। खास बात यह है कि इस दिन केवल नए विधायक ही सवाल करेंगे और मंत्रियों को उनके हर सवाल का जवाब देना होगा। पुराने विधायकों को ना तो सवाल पूछने का अधिकार है और ना ही कार्यवाही के दौरान किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप का। सभी सीनियर विधायक, दर्शक की तरह चुपचाप बैठे रहेंगे।
विधानसभा में प्रश्नकाल क्या होता है, यहां पढ़िए
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने बताया कि 15 मार्च को प्रश्नकाल के दौरान तारांकित (जिन पर सदन में चर्चा होती है) 25 प्रश्न नए विधायकों के लिए जाएंगे। दरअसल, तारांकित प्रश्नों का चयन लॉटरी के माध्यम से होता है। जिसे विधायकों द्वारा ही पर्ची निकाली जाती है। हालांकि सरकार सभी प्रश्नों का विभागवार लिखित में जवाब देती है। लेकिन लॉटरी के माध्यम से जिन प्रश्नों का चयन होता है, उस पर सदन में संबधित विधायक को सरकार से उसके जवाब पर प्रति प्रश्न पूछने का अधिकार होता है। संबधित विभाग का मंत्री सदन में जवाब देते हैं। हर सत्र में बैठक के दिन प्रश्नकाल के लिए 1 घंटे का समय निर्धारित है।
मध्यप्रदेश विधानसभा में कई सालों के बाद संसदीय परंपराओं का पालन हो रहा है
इसको लेकर अध्यक्ष गौतम ने कहा कि 15 मार्च के लिए लॉटरी में सिर्फ पहली बार के विधायकों के प्रश्नों को ही लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था से नए विधायकों को सरकार से सवाल-जवाब का मौका मिलेगा और उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि विधायकों को सदन में संरक्षण देना अध्यक्ष की नैतिक जिम्मेदारी है। उल्लेखनीय है कि कई सालों के बाद मध्य प्रदेश में इस तरह संसदीय परंपराओं का पालन हो रहा है।
नए पत्रकारों को ट्रेनिंग दी जाएगी
अध्यक्ष ने कहा कि नए पत्रकारों को विधानसभा की कार्य प्रणाली को समझाने के लिए ट्रेनिंग भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा के नियम और प्रक्रिया का संसदीय ज्ञान पत्रकारों को होना चाहिए। खासकर नए पत्रकारों को इसकी जरूरत होती है।
8 मार्च महिला दिवस पर विधानसभा का संचालन महिला सभापति करेंगी
उन्होंने कहा कि 8 मार्च को महिला दिवस है। इस अवसर पर महिला सभापति को आसंदी (सदन में अध्यक्ष की कुर्सी) पर बैठने और कार्यवाही को संचालित करने का अवसर दिया जाएगा। हालांकि ऐसा वर्ष 2013 से 2018 के बीच हो चुका है, जब महिला सभापति को आसंदी पर बैठाया गया था और अधिकांश सवाल महिला विधायकों ने ही पूछे थे।