जबलपुर। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा लागू किए गए 27% ओबीसी आरक्षण के मामले में हाईकोर्ट ने अंतिम सुनवाई से पहले जितनी भी याचिकाओं में जवाब पेश नहीं हुए हैं, 19 अप्रैल से पहले जवाब पेश करने के लिए कहा है। 19 अप्रैल को मध्य प्रदेश में 27% पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर अंतिम सुनवाई होगी।
27% ओबीसी आरक्षण: दावे और दलीलें
जबलपुर निवासी असिता दुबे सहित अन्य 29 की ओर से याचिकाएं दायर कर कहा गया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से बढ़ाकर 27 फीसद कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी वाले फैसले में स्पष्ट किया है कि आरक्षण 50 फीसद से अधिक नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2020 को महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिए गए 50 फीसद से अधिक आरक्षण को निरस्त कर दिया है। इसके बावजूद ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से बढ़ाकर 27 फीसद कर दिए जाने से आरक्षण की सीमा 50 फीसद को पार कर गई है। वहीं ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से भी याचिका दायर कर 27 फीसद ओबीसी आरक्षण का समर्थन किया गया।
सरकार 14 फीसद का लाभ नहीं दे रही
याचिकाकर्ता ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से तर्क दिया गया कि पूर्व आदेश के चलते सरकार ओबीसी वर्ग को निर्धारित 14 फीसद का लाभ नहीं दे रही है। सरकार की ओर से भी आग्रह किया गया कि फिलहाल ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से अधिक कर बढ़ाए गए आरक्षण को हाई कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन किए जाने पर विचार किया जाए। कोर्ट ने इन आग्रहों पर अगली सुनवाई पर विचार करने के निर्देश दिए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, ब्रह्मेंद्र पाठक व हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह, विनायक शाह ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा हाजिर हुए।