भोपाल। कोरोनावायरस की दूसरी लहर की रोकथाम के लिए जनता सरकारी गाइडलाइन के 1-1 बिंदु का पालन कर रही है। संक्रमण से बचने के लिए लोग होली का त्यौहार नहीं मना रहे और संक्रमण की रोकथाम के लिए बने सरकारी अस्पतालों में ताले लगे हुए हैं। डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ होली की छुट्टी पर चला गया। जांच नहीं होगी तो रिपोर्ट भी नहीं आएगी और रिपोर्ट नहीं आएगी तो संक्रमित व्यक्ति समाज में खुला घूमता रहेगा।
ऐसे कैसे कंट्रोल हो पाएगा कोरोना, जनता ड्यूटी पर और डॉक्टर छुट्टी पर
भोपाल में हर दिन करीब 500 मरीज मिल रहे हैं। इस लिहाज से उनके संपर्क में आए लोगों को मिला लें तो कम से कम 6000 से 7000 मरीजों की जांच रोज करने की जरूरत है। नियमानुसार सरकारी कोरोना योद्धाओं को सक्रियता दिखाते हुए पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए लोगों की सैंपलिंग करनी चाहिए परंतु ऐसा नहीं हो रहा उल्टा जागरूक नागरिक अपना सैंपल जमा कराने फीवर क्लीनिक पहुंचे तो दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। जनता ड्यूटी पर है और डॉक्टर छुट्टी पर चले गए।
प्रतिष्ठित समाचार पत्र नवदुनिया के पत्रकारों की टीम ने भोपाल में पड़ताल की तो पता चला कि जेपी अस्पताल, पंचशील नगर, कोटरा सुल्तानाबाद, कमला नगर डिस्पेंसरी, नया बसेरा संजीवनी क्लीनिक हर जगह ताला मिला। पिछले साल अगस्त सितंबर में जब कोरोना की लगभग इतने मरीज मिल रहे थे तो शहर के 46 फीवर क्लिनिको में सुबह 8 से रात 8 बजे तक कोरोना संदिग्धों की जांच की जा रही थी। अब मरीज तो तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन सरकारी अमला उतना गंभीर नहीं है।
CMHO की दलील: मरीज कम आते हैं इसलिए छुट्टी कर दी
इस संबंध में भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि छुट्टी के दिन सिर्फ एम्स, जेपी हमीदिया और बीएमएचआरसी में ही संदिग्धों की जांच की जाती हैं। छुट्टी के दिन मरीज भी कम आते हैं।
एक कलेक्टर के दो रूप: जनता पर प्रतिबंध, डॉक्टरों को छुट्टी
सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि सब कुछ जनता के हिसाब से करना है तो फिर धारा 144 के तहत प्रतिबंध और लॉकडाउन क्यों किया जा रहा है। कितनी अजीब बात है जो कलेक्टर जनता को घरों में रहने के लिए पाबंद कर रहा है वही कलेक्टर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को अस्पतालों में रुकने के लिए पाबंद नहीं कर रहा है।