भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जल संसाधन विभाग की स्वीकृत सिंचाई परियोजनाओं में निविदा प्रपत्र में प्रावधानित पेमेंट शेड्यूल का शिथिलीकरण कर ड्यू डेट से लगभग तीन वर्ष पूर्व भुगतान किये जाने के मामले की जाँच EOW से कराये जाने के निर्देश दिये हैं। सरल शब्दों में कहें तो जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने शासन की अनुमति के बिना ठेकेदारों को निर्धारित तारीख से 3 साल पहले पेमेंट कर दिया।
श्री एस. एन. मिश्रा, अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन ने बताया कि विभाग द्वारा अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के मध्य 7 सिंचाई परियोजनाओं की टर्नकी आधार पर बाँध एवं प्रेशराईज्ड पाइप नहर प्रणाली के निर्माण के लिए 3,333 करोड़ रूपये की लागत की 7 निविदाएँ स्वीकृत की गई थी। टर्नकी आधार पर स्वीकृति निविदाओं के स्कोप ऑफ़ वर्क में मुख्य रूप से बाँध का निर्माण कर जलाशय से जल उद्वहन कर रूपांकित सैंच्य क्षेत्र में पम्प हाउस, कंट्रोल उपकरणों सहित प्रेशराईज्ड पाइप लाईन बिठाकर निश्चित दाब पर सिंचाई के लिए जल प्रदाय किया जाना है।
मुख्य अभियंता, गंगा कहार, रीवा द्वारा शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया कि गोंड वृहद परियोजना के लिए शासन के आदेश क्र MPG/04/2019-20 दिनांक 27 मई 2019 के द्वारा पेमेंट शेड्यूल में उल्लेखित शर्त को शिथिल कर दिया गया था। जाँच पड़ताल में पाया गया कि ऐसा कोई आदेश शासन स्तर से जारी नहीं किया गया है। इसकी पुष्टि के लिए प्रमुख अभियंता एवं मुख्य अभियंता (प्रोक्योरमेंट) से संबंधित नस्ती एवं आदेश की प्रति प्राप्त की गई। इनके अवलोकन में पाया गया है कि शासन का अनुमोदन प्राप्त किए बिना ही शर्त को विलोपित करने संबंधित आदेश प्रमुख अभियंता ने अपने स्तर से सभी मुख्य अभियंताओं को जारी किया।
प्रकरण में मुख्य सचिव द्वारा भी इस संबंध में अभिमत चाहा गया। जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता द्वारा निविदा प्रपत्रों के पेमेंट शेड्यूल में उल्लेखित शर्त को विलोपित करने संबंधित आदेश अपने स्तर से 17 मई 2019 को जारी किया गया, जो अधिकारिता विहीन है। संबंधित परियोजनाओं के मुख्य अभियंता सहित अन्य मैदानी अधिकारियों ने भी बाँध कार्य प्रारंभ किये बिना नहरों एवं प्रेशराइज्ड पाइप के कार्य हेतु सामग्रियों पर भुगतान करने की कार्यवाही की है, जो अनियमितता की श्रेणी में आता है।