नई दिल्ली। दिनांक 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2020 के बीच (कोरोना काल) पूरे भारत में 1.5 करोड़ों से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी छूट गई। इनमें से 71,01,929 कर्मचारी ऐसे थे जिन्हें वापस दूसरी नौकरी नहीं मिली। इन सभी ने अपने पीएफ अकाउंट क्लोज कर दिए हैं।
केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में लिखित जवाब पेश कर जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अप्रैल-दिसंबर 2020 के बीच कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय में 71,01,929 पीएफ खाते बंद किए गए। जबकि साल 2019 में अप्रैल से दिसंबर के बीच 66,66,563 अकाउंट बंद हुए। इतनी बड़ी संख्या के पीछे पेंशन, नौकरी जाना और जॉब बदलना वजह मानी जा रही है।
गौरतलब है कि कोविड-19 के कारण लाखों कर्मचारी बेरेजोगार हो गए। ऐसे में उन्होंने ईपीएफ से पैसे निकाल घर चलाया है। श्रम मंत्री गंगवार ने बताया है कि अप्रैल-दिसंबर 2020 के बीच ईपीएफ से आंशिक निकासी करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई। यह संख्या 1,27,72,120 रही। वहीं एक साल पहले 2019 में पैसा निकालने वालों की संख्या 54,42,884 थी। पिछले वर्ष अप्रैल से दिसंबर के बीच ईपीएफ खाते से 73,498 करोड़ रुपए निकाले गए हैं। साल 2019 में यह रकम 55,125 करोड़ रुपए थी।
एक अन्य जवाब में उन्होंने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के बारे में बताया है कि 28 फरवरी 2021 तक 1.83 लाख कंपनियां रजिस्टर्ड हुई हैं। जिसमें 15.30 लाख लोगों को नौकरी मिली है। संतोष ने आगे बताया है कि 28 फरवरी 2021 तक एबीआरवाई के तहत 186.34 करोड़ रुपए जारी किए गए। इस योजना के तहत कोरोना संक्रमण के दौरान रोजगार देने और सामाजिक सुविधा देने की कोशिश की गई है। इस योजना को ईपीएफओ चला रहा है। एक अन्य जवाब में उन्होंने बताया है कि ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में 28 फरवरी 2021 तक 27,532,39 करोड़ रुपए निवेश किए हैं।