भोपाल। सुप्रीम कोर्ट यदि किसी सरकार को असमर्थ कहे तो यह सबसे गंभीर बात है। पिछले दिनों भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के संदर्भ में कहा कि ' मध्य प्रदेश सरकार को यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि वह संविधान के हिसाब से शासन करने में समर्थ नहीं है।' सरकार के माथे पर यह कलंक इसलिए लगा क्योंकि हत्या के मामले का आरोपी पथरिया वाला गोविंद सिंह गिरफ्तार नहीं किया गया।
पीड़ित पक्ष का कहना है कि राजनीतिक संरक्षण होने के कारण पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही है। पथरिया वाला गोविंद सिंह इतना पावरफुल है कि उसे बचाने के लिए सीधे सीएम हाउस फोन आते हैं। जो पुलिस अधिकारी उसके खिलाफ कलम चलाने की कोशिश करता है, उसका ट्रांसफर हो जाता है। टी आई और एसडीओपी की बात क्या करेंगे, इस मामले में तो जेलर और एसपी तक का ट्रांसफर हो गया। यहां तक कि वारंट जारी करने वाले जज को धमकाने की कोशिश की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इतनी गंभीर टिप्पणी कर दी। इस सब के बावजूद गोविंद सिंह गिरफ्तार नहीं किया गया।
SP ने गिरफ्तारी के लिए पुलिस पार्टी भेजी तो तबादला हो गया
1. दिनांक 15 मार्च 2019 को कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के समय दमोह एसपी आरएस बेलवंशी ने रामबाई के घर में गोविंद सिंह की तलाश में रेड कराई थी। इसके बाद उनका तबादला हो गया। एसपी विवेक सिंह आए। कुछ समय बाद उन्हें भी हटा दिया और हेमंत चौहान को भेजा।
एसडीओपी ने सबूत जुटाने की कोशिश की तो ट्रांसफर हो गया
2. वारदात के दौरान एसडीओपी कमल जैन हटा में पदस्थ थे। उन्होंने मामले की जांच में तेजी लाने की कोशिश की तो जल्द उनका तबादला कर दिया गया। इनके बाद सरिता उपाध्याय, नीतेश पटेल, प्रिया सिंधी आए और गए। अब भावना दांगी पदस्थ हैं लेकिन आरोपी को नहीं पकड़ पाए।
3. वारदात के समय हटा में धर्मेंद्र सिंह टीआई थे, उनके बाद विजय मिश्रा, राजेश बंजारा, दीपक खत्री आए और गए। अब प्रभारी श्याम बेन पदस्थ हैं। बताया जाता है कि किसी भी टीआई ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए गोविंद सिंह को गिरफ्तार करने की कोशिश नहीं की। केवल वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन किया।
कमलनाथ के कहने पर FIR से नाम हटाया
पथरिया में कांग्रेस पार्टी के नेता की हत्या हुई थी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री थे। बावजूद इसके पुलिस ने अगस्त 2019 में FIR से गोविंद सिंह का नाम हटा दिया। जबकि इससे पहले पुलिस ने गोविंद सिंह पर ₹25000 का इनाम घोषित किया था। कहा जाता है कि तत्कालीन सीएम कमलनाथ के कहने पर इनामी बदमाश का नाम FIR से हटा दिया गया। विधायक रामबाई के पति के खिलाफ पुलिस रिकॉर्ड में 25 मामले दर्ज हैं। जनवरी 2021 में हटा एडीजे कोर्ट ने गोविंद सिंह को फिर से आरोपी बनाया।
जेलर ने शिकायत की तो उसका भी ट्रांसफर हो गया
हटा न्यायालय में जेलर एनएस राणा ने बयान दिया था कि आरोपी जेल नियमों का पालन नहीं करते हैं। इन्हें शिफ्ट करने के लिए तत्कालीन जेल अधीक्षक रामलाल सहलाम ने पत्र व्यवहार किया था, जिस पर उनका स्थानांतरण हो गया। बयान देने के बाद एनएस राणा को भी जबलपुर अटैच कर दिया गया।
वारंट जारी करने वाले जज पर दबाव बनाया गया
हटा के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने जिला व सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि दमोह में उनके साथ कोई अप्रिय घटना हो सकती है। एसपी द्वारा अपने अधीनस्थों के साथ मिलकर उनके विरुद्ध झूठे आरोप लगाए जाने की भी आशंका जताई थी।