भोपाल। मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा के उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राहुल लोधी का नाम घोषित होने के बाद से ही सिद्धार्थ मलैया ने बगावत के संकेत देना शुरू कर दिया था परंतु जैसी की उम्मीद थी, आज प्रेस के सामने आकर सिद्धार्थ मलैया ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उपचुनाव में बतौर प्रत्याशी भाग नहीं ले रहे हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता होने के नाते भाजपा प्रत्याशी का चुनाव प्रचार करेंगे।
महीने भर से नापतोल कर रहे थे सिद्धार्थ मलैया
दमोह में भारतीय जनता पार्टी के बेताज बादशाह माने जाने वाले पूर्व मंत्री जयंत मलैया के समर्थकों का मानना था कि उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सिद्धार्थ मलैया को टिकट मिलेगा। जब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राहुल सिंह लोधी के नाम की घोषणा की तो मलैया समर्थकों में नाराजगी स्पष्ट रूप से दिखाई दी। इसके बाद सिद्धार्थ मलैया ने लोगों से मेल मुलाकात का दौर शुरू किया। एक बार पत्रकारों को भी बुलाया। शायद सिद्धार्थ मलैया यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि यदि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उनकी स्थिति क्या होगी। कुछ दिनों पहले स्पष्ट हो गया था कि उनके साथ इतना जनाधार नहीं है कि वह भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़ पाए।
सिद्धार्थ मलैया ने प्रेस के सामने आकर मैदान छोड़ने की घोषणा की
सिद्धार्थ मलैया ने आज कहा कि चुनाव तो लड़ना था, लेकिन भाजपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिया है, इसलिए अब वह पार्टी प्रत्याशी के साथ काम करेंगें। किसी दबाब से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई दबाब नहीं है, केवल पिता का आदेश है, जिसका पालन कर रहा हूं। पार्टी प्रत्याशी के साथ काम करने के समन्वय पर उन्होंने कहा कि यदि पार्टी के साथ काम करूंगा तो पूरी ईमानदारी और ताकत के साथ करूंगा। अपने समर्थकों को प्रेरित करूंगा कि वह भी निष्ठा से काम करें।
यदि उन्हें पार्टी जबादारी देती है तो वह उसे निभाएंगे वरना वह अपने वार्ड में काम करेंगे। वह अपने वार्ड से आठ पंचवर्षीय से करीब एक हजार वोटों से जीतते हैं, वही रिकार्ड वह इस बार भी कायम रखेंगे।
कैबिनेट का दर्जा और निगम अध्यक्ष के पद मिलने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वह काल्पनिक प्रश्नों का जबाब नहीं देते हैं, लेकिन इस प्रश्न का जबाब देना जरूरी है, इसलिए वह बताना चाहते हैं कि वह या उनका परिवार विश्वासहीन नहीं है। कैबिनेट का दर्जा या निगम अध्यक्ष का पद लेकर पार्टी के प्रति विश्वासहीन नहीं हो सकते। वह पार्टी के साधाराण कार्यकर्ता हैं और केवल यही चाहते हैं कि पार्टी का उनपर विश्वास बना रहे, यही उनके लिए काफी।
चुनाव लड़ने का फैसला करने में इतना समय लगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह चुनाव लड़ना चाहते थे, एक यात्रा शुरू की थी, उसपर एक अल्प विराम लगाया है। यात्रा चालू रहेगी, मंजिल अभी बाकी है।