जबलपुर। जिला शिक्षा अधिकारी ने 7 महीने पहले रिटायर हुए शिक्षक की पेंशन बेवजह रोक कर रख ली थी। बताने की जरूरत नहीं की पेंशन प्रकरण में रिश्वत की खुली डिमांड की जाती है। मामला जब कलेक्टर के पास पहुंचा तो जिला शिक्षा अधिकारी ने पूरे 7 महीने की पेंशन रिलीज कर दी। पीड़ित शिक्षक ने कलेक्टर को धन्यवाद दिया है परंतु एडवोकेट शैलेंद्र चौधरी का कहना है कि इस कार्रवाई को न्याय की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
रिटायर्ड शिक्षक को किराना वालों ने उधार देना तक बंद कर दिया था
जबलपुर के कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद सात माह की पेंशन ना मिलने से शिक्षक के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई यहां तक दूध एवं किराना वालों ने भी उधारी देना बंद कर दिया और सेवानिवृत्त शिक्षक शिक्षा विभाग के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो गया। कन्या हाई सेकेंडरी स्कूल मझगवां से रिटायर शिक्षक उमेश कुमार मिश्रा को आशा की एक किरण केयर बाय कलेक्टर का व्हाट्सएप नंबर 75879 70500 में नजर आई।
कलेक्टर ने आदेश जारी किए और एक साथ 7 महीने की पेंशन जारी हो गई
उन्होंने अपनी परेशानी लिखकर कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा को भेजा। जिसको पढ़ने के बाद कलेक्टर ने शिक्षा अधिकारी को तत्काल पेंशन भुगतान के आदेश दिये। दस दिन के अंदर सेवानिवृत्त शिक्षक को सात माह की संपूर्ण पेंशन खाते में आने के शिक्षक श्री मिश्रा ने कलेक्टर को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आपके प्रयासों से मुझको 7 माह की लंबित पेंशन का भुगतान हो गया है, केयर बाय कलेक्टर जरूरतमंद परिवारों के लिए एक वरदान है।
रिश्वत के लिए रोकी जाती है पेंशन, जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए
इस मामले में बताने की जरूरत है कि मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में कर्मचारियों की पेंशन जानबूझकर रोकी जाती है। कर्मचारियों से खुलेआम रिश्वत की डिमांड की जाती है।लोकायुक्त पुलिस कई बार ऐसे मामलों में शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर चुकी है। वर्तमान प्रकरण में प्रमाणित हो चुका है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने बिना किसी कारण के सेवानिवृत्त शिक्षक की पेंशन रोक कर उसे प्रताड़ित किया है। इस मामले को न्यायोचित तब कहा जाएगा जब जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो। हर मामला केयर बाय कलेक्टर के माध्यम से तो सॉल्व नहीं हो सकता। सिस्टम ठीक करना जरूरी है।