जबलपुर। कथित रूप रिश्वत लेने वाले वायरल वीडियो के आधार पर सहायक ग्रेड-2 को प्रभारी संयुक्त संचालक द्वारा निलबिंत किया गया था। निलबंन आदेश दिनाँक 04/02/2021 को हाई जबलपुर ने स्टे कर दिया है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी है कि प्रभारी संयुक्त संचालक को आदेश जारी करने का अधिकार नहीं था और निलंबन के लिए निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया है।
भगवंत अहिरवार, टीकमगढ़ को 2 साल पुराने वीडियो के आधार पर सस्पेंड किया था
श्री भगवंत अहिरवार, सहायक ग्रेड-2 शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पलेरा, जिला टीकमगढ़ में कार्यरत थे। दो वर्ष पूर्व किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा, व्यक्तिगत संव्यवहार को रिश्वत बताते हुए, वीडियो बना लिया गया था। दो वर्ष पूर्व के वीडियो के आधार पर, श्री भगवन्त अहिरवार को प्रभारी सहायक संचालक लोक शिक्षण, सागर संभाग द्वारा, निलंबित कर दिया गया था।
प्राचार्य ने जांच में निर्दोष बताया फिर भी सस्पेंड कर दिया
प्राचार्य द्वारा प्राथमिक जांच किये जाने एवम कथन पर पाया गया था कि वीडियो में दिख रहे कर्मचारी एवं लिपिक द्वारा किसी भी रिश्वत के लेने देन से इंकार किया गया था परंतु, जांच प्रतिवेदन को विचार मे लिए बिना, प्रभारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर संभाग द्वारा कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया था।
प्रभारी अधिकारी किसी को निलंबित नहीं कर सकता
श्री अहिरवार द्वारा निलंबन के विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली गई। कर्मचारी की ओर से, वकील उच्च न्यायालय जबलपुर श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा उच्च न्यायालय को बताया गया कि सिविल सेवा एवं अपील नियमों के अधीन निलम्बन की विधिक शक्तियों का प्रयोग, प्रभारी अधिकारी द्वारा नही किया जा सकता है। कर्मचारी का निलंबन अधिकारिता से परे एवं अवैध है।
हाईकोर्ट ने प्राचार्य से लेकर सचिव स्कूल शिक्षा विभाग तक को नोटिस जारी किए
अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्कों से प्रथम दृष्टया सहमत होते हुए, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने, सचिव स्कूल शिक्षा, आयुक्त लोक शिक्षण, प्रभारी संयुक्त संचालक , जिला शिक्षा अधिकारी टीकमगढ़, कलेक्टर टीकमगढ़, प्राचार्य कन्या शासकीय उच्चतर माध्यमिक, विद्यालय, पलेरा, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, पलेरा, एवं वीडियो में शामिल दूसरे कर्मचारी औपचारिक नटिस करते हुए, सस्पेंशन आदेश दिनाँक 04/02-2021 को स्टे कर दिया है