भारत का कोई भी राज्य हो और कोई भी भाषा एक समस्या समान रूप से मौजूद है और वह है अतिक्रमण। इलाके का दबंग व्यक्ति अपनी दबंगई दिखाने के लिए आम रास्ते पर अतिक्रमण करता है। कई बार कुछ लोग अपने फायदे के लिए और कभी-कभी पड़ोसी दुश्मन को नुकसान पहुंचाने के लिए आम रास्ते को बाधित करते हैं। ज्यादातर लोग इसकी शिकायत कलेक्टर/ जिला दंडाधिकारी से करते हैं, परंतु क्या आप जानते हैं ऐसी स्थिति में पुलिस थाने में IPC की धारा 339 के तहत FIR भी दर्ज करवाई जा सकती है। पढ़िए:-
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 339 की परिभाषा:- {सदोष अवरोध का अपराध}
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उसकी इच्छा के बिना:-
1. उसके आने जाने की स्वतंत्रता पर रोक लगाएगा।
2. किसी व्यक्ति को उसके आने जाने के सार्वजनिक रास्ते पर रोक लगाएगा या दीवार, बाउंड्री आदि कर देगा। जिससे रुकावट उत्पन्न हो।
3. किसी भी प्रकार की धमकी देकर रुकावट उत्पन्न करेगा। जैसे- कुत्तों की पीछे लगा देना, पिस्तौल (खाली भी क्यों न हो) दिखाकर रोकना, घर के बाहर ताला लगा देना आदि।
तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 339 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 399 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 के अंतर्गत समझौता योग्य होते हैं इनका समझौता धारा 320(1) के अनुसार उस व्यक्ति से किया जाता है जिसके रास्ते में रूकावट उत्पन्न की गई है। इस धारा के अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता की धारा 341 में किया गया है, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए एक माह की कारावास या 500 रु.का जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार:- इन रि एम• अब्राहम के मामले में आरोपी एक बस ड्राइवर था। उसने अपनी बस जान बुझ कर सड़क के आर-पार इस प्रकार खड़ी कर दी ताकि पीछे से आने वाली बस को आगे जाने से रोका जा सके। न्यायालय द्वारा आरोपी को सदोष अवरोध के अपराध में दोषी ठहराया गया। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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