महाशिवरात्रि का त्यौहार आते ही जय-जय शिव शंकर के जयकारे के साथ ही ठंडाई और भांग भी याद आने लगती है। भांग का उपयोग महाशिवरात्रि और होली पर मिठाइयों, कुल्फियों, ठण्डाई बनाने में किया जाता है परंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भांग, गांजा और चरस तीनों एक ही पौधे से मिलते हैं। भांग के पौधे के बीज को छोड़कर इसका हर भाग किसी न किसी रूप में उपयोगी है और यह पौधे अपने आप ही कहीं पर भी उग आते हैं।
भांग के पौधे का वैज्ञानिक नाम
भांग के पौधे का वैज्ञानिक नाम Cannabis indica (कैनाबिस इंडिका) है। यह कैनाबेसी फैमिली (Cannabaceae family) का सदस्य है। यह एक वार्षिक (Annual) पौधा है। इस कारण हर जगह आसानी से उपलब्ध होता है। यह पौधा नर (Male) और मादा ( Female) अलग-अलग रूपों में पाया जाता है।
भांग, गांजा और चरस तीनों आपस में भाई-बहन हैं
वैज्ञानिक रूप से भांग का पौधा एक आवृत्तबीजी पौधा (एंजियोस्परमिक् प्लांट) है जिसमें जड़, तना, पत्ती, फल, फूल, बीज, बीज आवरण पाए जाते हैं और बीज को छोड़कर इसका प्रत्येक भाग उपयोगी है। आज हम आपको यह बताएंगे कि भांग के पौधे के कौन-कौन से भाग क्या-क्या काम आते हैं -
नर पौधे से भांग और मादा पौधे से गांजा बनता है, चरस दोनों पौधों से मिलता है
नर पौधे के पत्तों से - भांग तैयार की जाती है।
मादा पौधों की पुष्प मंजरियों से - गांजा तैयार किया जाता है।
जबकि भांग के पौधों की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल (एक चिपचिपा पदार्थ) के समान पदार्थ को चरस कहते हैं।
भांग से कंबल और कपड़े भी बनते हैं
नशे के अलावा भांग का क्या-क्या उपयोग होता है
भांगकी छाल से - रस्सियां बनाई जाती हैं।
भांग के डंठल से - मशाल का काम लिया जाता है।
भांग के रेशों से - कंबल, कपड़े आदि तैयार किए जाते हैं।
भांग का उपयोग दर्द निवारक, दवा बनाने में भी किया जाता है। (पेन किलर टेबलेट और इंजेक्शन में भांग होती है) Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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