प्रोफेशन कैमरा तो आपने जरूर देखा होगा। फोटोग्राफर कैमरे के कलर और डिजाइन से ज्यादा उसके लेंस और क्वालिटी पर फोकस करते हैं। प्रोफेशनल कैमरा सबसे सस्ता वाला हो या फिर सबसे महंगा एक बात सभी में कॉमन होती है और वह है प्रोफेशनल कैमरे का कलर। लगभग सभी प्रोफेशनल कैमरों का कलर काला होता है। सवाल यह है कि प्रोफेशनल कैमरे का कलर काला ही क्यों होता है। इसके पीछे का टेक्निकल लॉजिक क्या है।
पुराने मैकेनिकल फोटो कैमरे काले क्यों होते थे
दुनिया में सन 1975 से पहले और भारत में सन 2000 से पहले 35 एमएम की रील वाले कैमरे उपयोग किए जाते थे। इस रील को नेगेटिव रोल के नाम से पुकारा जाता था। मैकेनिकल कैमरे में जब हम फोटो क्लिक करते थे तो उसका नेगेटिव चित्र रोल के भीतर मौजूद प्लास्टिक की केमिकल युक्त रील पर छप जाता था। फिर फोटो लैब में जाकर उस नेगेटिव से पॉजिटिव बनाकर फोटो पेपर पर प्रिंट लिया जाता था। यह सारी प्रक्रिया अंधेरे में करनी होती थी क्योंकि यदि जरा सी भी रोशनी नेगेटिव रोल पर पड़ जाती है तो उस में छपे सारे नेगेटिव फोटो खत्म हो जाएंगे। इसलिए मैकेनिकल फोटो कैमरा काले कलर के बनाए जाते थे क्योंकि ब्लैक कलर प्रकाश को परावर्तित नहीं करता।
डिजिटल कैमरा का कलर ब्लैक क्यों होता है
जमाना बदल गया है। अब डिजिटल फोटो कैमरे यूज किए जाते हैं। इनके अंदर कोई नेगेटिव रोल नहीं होता। इन्हें किसी भी प्रकार की रोशनी से बचाने की जरूरत नहीं है। बावजूद इसके प्रोफेशनल डिजिटल कैमरा हमेशा ब्लैक कलर का होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भले ही कैमरा डिजिटल हो गया हो परंतु प्रकाश आज भी परावर्तित होता है और प्रोफेशनल आज भी बेस्ट क्वालिटी के लिए काम करते हैं। यदि कैमरे में कोई भी कलर होगा तो उसका परावर्तन सब्जेक्ट (आपके चेहरे) पर भी हो सकता है। प्रोफेशनल कैमरामैन ऐसी कोई गुंजाइश नहीं चाहता। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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