कहा जाता है कि होली भाई दूज के दिन बहन से तिलक करवाने पर भाई की जीवन निष्कंटक (बिना बाधा के) होता है। होली के अगले दिन देश के कुछ हिस्सों में भाईदूज मनाने की परंपरा है। दीपावली के बाद आने वाला भाई दूज ज्यादा लोकप्रिय है। भाई दूज का त्योहार द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस तरह चैत्र के कृष्ण पक्ष की द्वितीय को भाई दूज मनाते हैं। इस साल होलिका दहन 28 मार्च को किया था। जबकि रंग वाली होली 29 मार्च को पड़ी है। ऐसे में भाईदूज का त्योहार 30 मार्च को है।
शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 30 मार्च 04:28AM से मार्च 31 से 05:14 AM तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:48 AM से 12:38 PM तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 PM से 03:06 PM तक।
गोधूलि मुहूर्त 06:12 PM से 06:36 PM तक।
अमृत काल 06:41 AM से 08:06 AM तक।
द्विपुष्कर योग- 06:02 AM से 12:22 PM तक।
होली दूज का महत्व-
जिस तरह से दिवाली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसे नर्क की यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए उसका तिलक किया जाता है। उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली की भाई दूज मनाई जाती है। जिससे उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके। शास्त्रों के अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
होली भाई दूज की कथा / HOLI BHAI DOOJ KATHA
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी। उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी। बुढ़िया ने अपनी पुत्री की शादी कर दी थी। एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया तो बुढ़िया ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी। बुढ़िया का बेटा एक जंगल से गया जहां उसे एक नदी मिली उस नदी ने बोला में तेरा काल हूं और मैं तेरी जान लूंगी। इस पर बुढ़िया का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्राण हर लेना।
इसके बाद वह आगे बढ़ा जहां उसे एक शेर मिला बुढ़िया के बेटे ने शेर से भी यही कहा। इसके बाद उसे एक सांप मिलता है उसने सांप से भी यही कहा। जिसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है। उस समय उसकी बहन सूत काट रही होती है और जब वह उसे उसका भाई पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है ।लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है। इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर दुखी मन से चल देता है। इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती और भाई उसे सब बता देता है।
इस पर बहन कहती है कि रूको भाई मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है और वह उस बुढ़िया से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है। इस पर बुढ़िया कहती है यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है। अगर तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है।
इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी और वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है। इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है। उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है। उसके बाद आगे उन्हें सांप मिलता है। जिसके बाद उस बुढ़िया की लड़की उसे दूध दे देती है और अंत में उन्हें नदी मिलती है। जिस पर वह ओढ़नी डाल देती है। इस तरह से वह बहन अपने भाई को बचा लेती है।