भोपाल। प्रदेश में केंद्रीय वेतनमान के आधार पर किसी भी वेतनमान में समुचित लाभ नहीं दिया जा रहा है। मप्र अधिकारी कर्मचारी संयुक्त कल्याण समन्वय समिति ने मांग की है कि शिक्षक कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों, एचआर व जीआयएस को पुनरीक्षित किया जाए।
प्रांतीय अध्यक्ष उदित सिंह भदौरिया संयोजक प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय महामंत्री कन्हैयालाल लक्षकार, हरीश बोयत, जगमोहन गुप्ता, यशवंत जोशी ने संयुक्त प्रेस नोट में बताया कि आजादी से अब तक केंद्र में लागू वेतनमानों के आधार पर प्रदेश में अनुसंशाएं लागू करने में कोताही बरती जा रही है। पांचवें, छठे व सातवें वेतनमान की अनुसंशाएं लागू करने में प्रदेश सरकार ने "संगदिल" से काम लिया है।
सातवें वेतनमान के आधार पर शिक्षकों कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन केंद्र में 9300-34800 पे ग्रेड 4200 के मुकाबले 5200-20200 पे ग्रेड 2400 दिया गया है। इसका खामियाजा यह हुआ कि केंद्रीय प्रारंभिक वेतनमान को प्रदेश में तीस वर्ष सेवाकाल पूर्ण होने पर तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान के रूप में 9300-34800 पे ग्रेड 4200 दिया गया।
यदि पांचवें वेतनमान से विसंगतियों का निराकरण कर दिया जाता है तो आज शिक्षक कर्मचारियों को वेतनमान 15600-60600 ग्रेड पे 6600 की पात्रता होगी। इसके साथ ही साढ़े पांच वर्ष बीतने पर भी गृह भाड़ा भत्ता व समूह बीमा सह बचत की कटौती भी जनवरी 2016 से छठे वेतनमान के आधार पर ही हो रही है।
"समिति" प्रदेश सरकार से मांग करती है कि वेतनमानों में व्याप्त विसंगतियों एवं एचआर व जीआयएस को पुनरीक्षित किया जावे। इससे प्रदेश में शिक्षक कर्मचारियों को औसत दस हजार रूपये प्रतिमाह आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस कारण सेवानिवृत्ति पर भी प्रतिमाह कम पेंशन मिल रही है। इसका समाधान न्यायोचित होगा।