भोपाल। नगरीय प्रशासन एवं विकास मध्य प्रदेश, भोपाल ने आईपीसी की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, शासन के विरुद्ध आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामले में FIR दर्ज किए जाने के बाद सस्पेंड किए गए सब इंजीनियर को उसी कार्यालय में, उसी पद पर, पूरे अधिकारों के साथ बहाल कर दिया है, जहां से गंभीर आरोप की जांच के बाद FIR दर्ज होने पर उसे सस्पेंड किया गया था।
निकुंज कुमार श्रीवास्तव कमिश्नर नगरीय प्रशासन एवं विकास मध्य प्रदेश, भोपाल के हस्ताक्षर से दिनांक 23 मार्च 2021 को जारी आदेश के अनुसार श्री रमेश तिवारी, उपयंत्री नगर परिषद, वैकुण्ठपुर को नगर पुलिस अधीक्षक, जहाँगीराबाद संभाग भोपाल में दर्ज अपराध क्रमांक 153/2015 के फलस्वरूप निलंबित किया गया है नगर पुलिस अधीक्षक, जहाँगीराबाद संनाग भोपाल में श्री रमेश कुमार तिवारी उपयंत्री, नगर परिषद, बैकुण्ठपुर जिला रीवा के विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 120बी, भा.द.वि. (1)(डी) 13(2) भ्रष्टाचार अधिनियम 198 के तहत पंजीबद्ध अपराध ग्रमांक 153/2015 में प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है।
कमिश्नर ने सब इंजीनियर रमेश तिवारी के बहाली आदेश में लिखा है कि कोर्ट को डिसीजन करने में समय लगेगा। सब इंजीनियर रमेश तिवारी को 75% वेतन भुगतान किया जा रहा है। डिपार्टमेंट में सब इंजीनियर का पद रिक्त है। शासन स्तर पर प्रावधान है कि 1 साल से अधिक का निलंबन होने पर उसकी समीक्षा की जाए। इसलिए रमेश तिवारी की सेवाएं उसी पद पर (उपयंत्री नगर परिषद, वैकुण्ठपुर) बहाल की जाती है।
कमिश्नर के आदेश से उपजा महत्वपूर्ण सवाल
इस मामले में ध्यान रखना होगा कि सब इंजीनियर रमेश तिवारी को विभागीय मामले में जांच प्रक्रिया के दौरान सस्पेंड नहीं किया गया बल्कि धोखाधड़ी, शासन के विरुद्ध आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामले में FIR दर्ज किए जाने के बाद सस्पेंड किया गया है। कितना बेहतर होता कि कमिश्नर प्रकरण के फैसले में देरी होने की स्थिति में सब इंजीनियर के 75% वेतन भुगतान पर रोक लगाने और जीवन यापन के लिए भारत सरकार द्वारा मनरेगा योजना के तहत निर्धारित ₹193 प्रतिदिन भुगतान करने की सिफारिश करते। यदि धारा 420 और 120बी के आरोपी अधिकारी की सेवाएं बहाल करना विभाग के लिए आवश्यक भी हो जाता है तब भी उसी कार्यालय में, उसी पद पर, उतने ही अधिकारों के साथ बहाल करना, कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।