आज के लेख में हम जिस अपराध की बात कर रहे हैं वो मानव शरीर पर होने वाला सबसे छोटा अपराध है हमला(Assault) यह तुरंत ही प्रभावी होता है जैसे कोई व्यक्ति किसी को मारने के लिए मुक्का उठा लेता है और वह मारने ही वाला होता है, यहाँ पर जिस व्यक्ति ने मुक्का उठाया है वह हमले के अपराध का दोषी होगा। जरूरी नहीं है कि वह अन्य व्यक्ति को मरेगा तभी अपराध होगा। सिर्फ हमला मात्र करना अपराध होता है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 351 की परिभाषा (सरल एवं स्पष्ट शब्दों में) :-
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर बिना हाव-भाव देखे सामान्य आपराधिक बल का प्रयोग करता है तब वह हमले के अपराध का दोषी होगा।
नोट:- भविष्य में क्षति करने की धमकी देना हमला का अपराध नहीं होता है न ही धमकी वाले शब्दों को बोलना हमले का अपराध होता है। जब तक हाव भाव में आकर कोई सामान्य बल का प्रयोग नहीं किया गया हो।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 351 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस अपराध का दण्ड का प्रावधान धारा 352 में किया गया है, यह अपराध समझौता योग्य है उस व्यक्ति से जिसके लिए आपराधिक बल का प्रयोग किया है दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320 की सारणी 1 के अनुसार। यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं, इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए तीन वर्ष की कारावास या पाँच सौ रुपये जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार वाद:- नोबल मोहनदास बनाम राज्य, मार्फत डिप्टी इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस, देपुरी:-
इस वाद में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि पति उससे पृथक रह रही अपनी पत्नी को अपने साथ ले जाने के लिए आक्रामक होता है तो और उसके द्वारा पत्नी को प्रताड़ित किया जाता है तो यह अपराध दण्ड संहिता की धारा 323 (जानबूझकर कर चोट करना) का अपराध न होकर 351 का अपराध होगा एवं दण्ड धारा 352 के अंतर्गत मिलेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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