शासकीय सेवक को डराना या धमकाना किस धारा के अंतर्गत अपराध होता है - LEARN IPC SECTION 353

हमने आपको आपराधिक बल एवं हमला के अपराध की परिभाषा बताई है अर्थात आपराधिक बल वह है जिससे किसी व्यक्ति गतिमान, गतिहीनता, गतिपरिवर्तन, किया गया है सामान्य आपराधिक उद्देश्य से एवं हमला अर्थात किसी भी प्रकार की तुरंत दी गई धमकी या अपकृत्य जिससे व्यक्ति को भय, डर, घबराहट आदि उत्पन्न हो वह हमला होता है। अगर सामान्य व्यक्ति के साथ ये कृत्य होता है तो इन अपराध की सजा का प्रावधान धारा 352 के अंतर्गत है। लेकिन यह कृत्य किसी लोकसेवक(शासकीय सेवक) के साथ होता है तो यह अपराध एक नई धारा के अंतर्गत माना जाएगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 353 की परिभाषा(सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में):-

अगर कोई शासकीय सेवक विधि के अनुसार अपने कर्तव्य का पालन कर रहा है एवं कोई व्यक्ति उसके इस कार्य में आपराधिक बल या हमले का प्रयोग करेगा तब वह व्यक्ति उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दोषी होगा।

महत्वपूर्ण नोट:- समान दिखने वाली धाराओं में अंतर जानिए

1. धारा बल के बाद अगर लोकसेवक को चोट या गंभीर चोट होती है तब यह अपराध धारा 332 एवं 333 के अंतर्गत होगा।
2. धारा 186 के अंतर्गत अगर किसी लोक-सेवक के कार्य में जानबूझकर कर बाधा उत्पन्न करना या हिंसा करना। लेकिन धारा 353 वहाँ लागू होती है जहाँ लोकसेवक के ऊपर कोई आपराधिक बल या हमला किया गया हो।
(उपर्युक्त तीनो धाराएं समान है पर इनमे बहुत अन्तर स्प्ष्ट होता है,तीनो धाराओं में दण्ड़ का प्रावधान भी अलग अलग है कभी कभी आरोपी पर तीन धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज हो जाता है।)

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 353 के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान:-

यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए दो वर्ष की कारावास एवं जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।

उधरणानुसार वाद:- चंद्रिका साव बनाम राज्य- सहायक अधीक्षक वाणिज्य कर ने दुकान की आकस्मिक जाँच के दौरान दुकान के बही खाते निरीक्षण हेतु उठा लिए परंतु दुकान मालिक ने सहायक अधीक्षक से इन पुस्तकों को छीन लिया। उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि आरोपी (दुकान मालिक) धारा 353 के अंतर्गत दोषी होगा। क्योंकि सहायक अधीक्षक विधि के अनुसार अपने कर्तव्य का पालन कर रहा था। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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