भारत एक लोकतांत्रिक देश है और किसी भी नागरिक पर बल प्रयोग करना अपराध की श्रेणी में आता है। भारतीय संविधान के अनुसार अति आवश्यक होने पर केवल ड्यूटी पर तैनात वर्दीधारी ही बल प्रयोग कर सकता है। कई बार विवाद के दौरान किसी व्यक्ति को समाज में अपमानित करने के लिए बल प्रयोग किया जाता है। भारतीय दंड संहिता में इसे सामान्य मारपीट से अलग अपराध के रूप में दर्ज किया गया है। आइए जानते हैं किसी को अपमानित करने के लिए उसके साथ धक्का-मुक्की करना या मारपीट करना आईपीसी की किस धारा के तहत अपराध माना गया है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 355 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर उसकी बेज्जती, अनादर आदि करने के लिए अचानक आपराधिक बल या हमला करता है तब वह धारा 355 के अंतर्गत दोषी होगा। यदि आपराधिक बल प्रयोग के दौरान पीड़ित घायल हो जाता है या फिर उसे गंभीर रूप से चोट पहुंचती है तो इसके लिए आईपीसी में धारा 323 से लेकर धारा 370 प्रावधान है परंतु उन सभी धाराओं के साथ अपमानित करने के लिए आपराधिक बल प्रयोग हेतु धारा 355 भी दर्ज की जाएगी।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 355 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा का अपराध दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 की सारणी 1 के अंतर्गत इस व्यक्ति से समझौता योग्य है जिस पर आपराधिक बल या हमला किया गया था। यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा- इस अपराध के लिए दो वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनो से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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