भोपाल। मध्यप्रदेश में प्री मानसून एक्टिविटीज मई के महीने में होती है और जून के महीने में मानसून आ जाता है लेकिन देशभर के मौसम विज्ञानी आश्चर्यचकित हैं कि ऐसे हालात मार्च के महीने में बन गए हैं। जो बादल हिमालय में बरसने चाहिए उनका एक हिस्सा मध्यप्रदेश आ गया है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी के बादल और राजस्थान की सूखी हवा मध्य प्रदेश के आसमान में टकरा रहीं हैं। इसके चलते प्री मानसून जैसी बारिश हो रही है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ऐसा इससे पहले शायद कभी नहीं हुआ।
फरवरी-मार्च 2021: मध्य प्रदेश में कहां-कहां बारिश हुई
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष पांच-छह फरवरी को गुना, ग्वालियर, सीधी और सतना में गरज-चमक के साथ बारिश हुई। इसके बाद 15 फरवरी से 19 फरवरी तक सागर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, नौगांव, होशंगाबाद, दमोह, खंडवा, खरगोन में बरसात हुई। 12-13 मार्च को फिर मौसम बदला और सागर, भोपाल, शाजापुर, राजगढ़ सहित कई स्थानों पर बारिश हुई। इस दौरान कहीं-कहीं ओले भी गिरे। उधर 16 मार्च से एक बार फिर प्रदेश में फिर तेज हवाओं के साथ अलग-अलग जिलों में गरज-चमक की स्थिति बनी हुई है।
वेस्टरली जेट स्ट्रीम गड़बड़ाई, हिमालय की बारिश मध्य प्रदेश में हो रही है
वर्तमान में मौसम का मिजाज मानसून वेस्टरली जेट स्ट्रीम के गड़बड़ाने के कारण बदल रहा है। जेट स्ट्रीम के कुछ नीचे उतर आने के कारण उत्तर भारत में आ रहे पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मध्य भारत तक आ रहा है। इसके अलावा इस बार तीन से चार दिन के अंतराल में पश्चिमी विक्षोभ के आने का सिलसिला भी बना हुआ है।
बंगाली बादल और राजस्थान की हवाएं मध्यप्रदेश के आसमान पर
तीसरी मुख्य वजह बंगाल की खाड़ी की तरफ से नमी लेकर आ रही पूर्वी हवाओं का राजस्थान की तरफ से आ रही शुष्क पश्चिमी हवाओं को मप्र में टकराव होना है।
वेस्टरी जेट क्या है: 1000 किलोमीटर लंबी हवा का घेरा
वेस्टरली जेट स्ट्रीम पश्चिम से पूर्व की तरफ जाने वाली हवाओं की धारा को कहते हैं। लगभग एक हजार किलोमीटर लंबाई के इस सिस्टम की गहराई चार किमी.तक होती है। हवाओं की यह धारा दस किर्मी की ऊंचाई पर रहती है। 60 से 200 किमी. प्रति घंटा तक की रफ्तार से चलने वाली हवा की धारा का दायरा भी 50 किमी.तक होता है।
मध्य प्रदेश मौसम का पूर्वानुमान: मार्च के लास्ट वीक तक बारिश होती रहेगी
जनवरी से अभी तक 20 वेदर सिस्टम मप्र के मौसम को प्रभावित कर चुके हैं। वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ जम्मू काश्मीर में है। एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ 21 मार्च को उत्तर भारत में आने की संभावना है। इस वजह से मार्च के अंत तक गरज-चमक की स्थिति बनती रह सकती है। हालांकि इस दौरान अधिक बारिश होने की संभावना काफी कम है।