मुरैना। यहां एक अजीब सा मामला सामने आया है। संजय माहौर नाम के एक व्यक्ति को जिला अस्पताल से गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि वह पिछले 15 दिन से अस्पताल में बतौर शासकीय चिकित्सा सेवाएं दे रहा था जबकि उसने MBBS की पढ़ाई तक नहीं की है। गिरफ्तारी के बाद संजय माहौर का कहना है कि उसने मेडिकल की सीट के लिए व्यापम द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा दी थी लेकिन व्यापम घोटाले के कारण उसकी सीट किसी दूसरे को आवंटित हो गई। इसलिए उसे फर्जीवाड़ा करना पड़ा।
संजय माहौर गौसपुर गांव का निवासी है और वर्तमान में तुस्सीपुरा में रहता है। उसके पास दो पहचान पत्र भी मिले हैं, एक में एमबीबीएस व दूसरे में एमडी डाक्टर लिखा हुआ है। संजय माहौर एक प्रतिभाशाली साथ होता। उसके अपराधी बनने की शुरुआत व्यापम घोटाले के कारण हुई। संजय ने बताया कि 12वीं पास करने के बाद उसने व्यवसायिक परीक्षा मंडल मध्य प्रदेश द्वारा मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा में भाग लिया था। उसे पूरा विश्वास था कि उसे मेडिकल सीट मिल जाएगी परंतु व्यापम घोटाला हो गया और उसके हिस्से की सीट भ्रष्टाचार के कारण किसी और को दे दी गई।
पुलिस ने बताया कि संजय ने डॉक्टर बनने का निश्चय कर लिया था। जब उसने देखा कि फर्जीवाड़े के कारण अयोग्य छात्र मेडिकल की सीट प्राप्त कर सकते हैं उसने भी ऐसा ही करने की प्लानिंग की ओर फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर मध्य प्रदेश के चिकित्सा विभाग में बतौर डॉक्टर नियुक्ति प्राप्त कर ली।
संजय माहौर ने 30 मई 2019 को नकली ट्रांसफर आदेश से लगभग छह माह तक अंबाह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सेवाएं दीं। विभाग ने उसे वेतन भी दिया। बीएमओ डा. डीएस यादव को शक हुआ और उन्होंने दस्तावेज मांगे। उसी दिन से यह लापता हो गया था। इसके बाद अंबाह थाना पुलिस ने चार दिसंबर 2019 को उसे गिरफ्तार कर लिया था। लगभग एक साल जेल में रहने के बाद वह जिला अस्पताल में पहुंच गया। जिला अस्पताल में उसने 15 दिन तक सेवाएं दी। स्टाफ नर्सों को उसके व्यवहार में कुछ अजीब सा लगा। इसलिए उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना दी है और एक बार फिर संजय माहोर को गिरफ्तार कर लिया गया।