भोपाल। हर साल लगभग 2500000 विद्यार्थियों की परीक्षा देकर उन्हें फेल और पास घोषित करने वाले माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्य प्रदेश के विशेषज्ञों की योग्यता पर सवाल खड़ा हो गया है। मंडल ने पहले नए परीक्षा पैटर्न पर ब्लू प्रिंट जारी किया फिर पुराने परीक्षा पैटर्न पर ब्लू प्रिंट जारी किया, अब पता चल रहा है कि दूसरी बार जारी किया गया ब्लूप्रिंट भी गलत है। मंडल के मठाधीश तीसरा ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं।
MP BOARD EXAM तमाशा बन गया, पढ़िए क्या-क्या हुआ
सबसे पहले एमपी बोर्ड के चेयरमैन राधेश्याम जुलानिया ने नया परीक्षा पैटर्न घोषित किया।
नई परीक्षा पैटर्न और सिलेबस के आधार पर ब्लू प्रिंट तैयार किए गए। 145 पेपर तैयार कर लिया जाए। यहां तक की ब्लू प्रिंट जारी कर दिया जाए।
करीब 1 महीने तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राधेश्याम जुलानिया और श्रीमती रश्मि अरुण शमी के बीच सबसे पावरफुल कौन, गेम चलता रहा और अंत में श्रीमती रश्मि अरुण शमी जीत गई।
इस हाई प्रोफाइल चेस गेम से बेखबर 1900000 विद्यार्थी नए परीक्षा पैटर्न के ब्लूप्रिंट के आधार पर पढ़ाई करते रहे।
जीतने के बाद श्रीमती रश्मि अरुण शमी ने जुलानिया सर का नया परीक्षा पैटर्न रद्द कर दिया। बताया गया कि पुराने पैटर्न के आधार पर फिर से ब्लू प्रिंट जारी किए जाएंगे।
लंबे इंतजार के बाद 5 दिन पहले श्रीमती रश्मि अरुण शमी की टीम द्वारा ब्लू प्रिंट जारी किए गए लेकिन यह भी गलत निकले।
अब तीसरा ब्लूप्रिंट बनाया जा रहा है। जो 9 मार्च 2021 को जारी किया जाएगा।
यह परीक्षा में व्यवधान का मामला है, कार्रवाई कीजिए
साबित हो गया है कि 5 दिन पहले जारी किया गया ब्लूप्रिंट गलत था। कोरोनावायरस के कारण सिलेबस में जो 30% की कटौती की गई थी, ब्लू प्रिंट में उसका ध्यान नहीं रखा गया। यहां याद दिलाना जरूरी है कि यदि कोई व्यक्ति परीक्षा देने जा रहे विद्यार्थी को रास्ते में रोकता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 340 के तहत FIR दर्ज की जाती है एवं कोर्ट ऐसे व्यक्ति को 1 साल जेल की सजा सुनाती है। यदि विद्यार्थी का पड़ोसी ध्वनि प्रदूषण करता है तो उसे तत्काल पुलिस पकड़ ले जाती है। यानी परीक्षा एक गंभीर विषय है। ब्लू प्रिंट तैयार करने वाले, उसकी जांच करके उसे अप्रूव करने वाले और जारी करने वाले अधिकारियों ने विद्यार्थियों की परीक्षा की तैयारी में व्यवधान उत्पन्न किया है। इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।